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सुब्रत मुखर्जी के निधन पर आसनसोल के राहा लेन स्थित टीएमसी पार्टी कार्यालय में दी गई दिवंगत नेता को श्रद्धांजली


आसनसोल । तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी का बीते 4 नवम्बर को कोलकाता के एक निजी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। प्रदेश में टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा उनको श्रद्धांजलि देने का सिलसिला अब भी जारी है। इसी क्रम में आसनसोल उत्तर विधानसभा अन्तर्गत जीटी रोड के किनारे राहा लेन स्थित टीएमसी पार्टी कार्यालय में भी दिवंगत नेता को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। इस मौके पर आसनसोल नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन अमरनाथ चैटर्जी भी मौजूद थे। उन्होंने भी सुब्रत मुखर्जी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया। इसके उपरांत सुब्रत मुखर्जी के निधन पर शोक जताते हुए उन्होंने कहा कि सुब्रत मुखर्जी के साथ यहां के टीएमसी नेताओं का संपर्क 1988 साल से प्रबुद्ध लाहा के जमाने से है। तब एक सम्मेलन किया गया था जहां उनके भी आने की बात थी लेकिन किन्हीं कारणों से वह नहीं आ सके थे। बाद में जब वह 2009 में टीएमसी के प्रदेश अध्यक्ष बने और आसनसोल नगर निगम में टीएमसी की बोर्ड बनी तो सुब्रत मुखर्जी ने ही उनका नाम उपमेयर के रुप में सुझाया था। अमरनाथ चैटर्जी ने कहा कि धीरे-धीरे सुब्रत मुखर्जी अपने मिलनसार स्वभाव के कारण आसनसोल के टीएमसी कर्मियों के भी चहेते बन गए। उन्होंने बताया कि सुब्रत मुखर्जी का सबसे बड़ा गुण यह था कि कोई भी उनसे बिना झिझक या संकोच के मिल सकता था। इसके साथ वह काफी हाजिर जवाब और कोई भी समस्या हो उसे बेहद ठंडे दिमाग से संभालने वाले नेता थे। यही वजह है कि ममता बनर्जी भी उनका काफी सम्मान करती थी। उनको कई अहम जिम्मेदारियां दी थी। उन्होंने कहा कि सुब्रत मुखर्जी की कार्यकुशलता का प्रमाण इसी बात से मिलता है कि बंगाल के पंचायत मंत्री के रुप में उन्होंने जो काम किया केंद्र सरकार ने कई बार उस कार्य की प्रशंसा करते हुए बंगाल की प्रशंसा की। अमरनाथ चैटर्जी ने कहा कि उनको गर्व है कि उन्होंने अपनी राजनीति सुब्रत मुखर्जी जैसे नेता की छत्रछाया में की थी। आने वाले समय में शायद ही कोई दुसरा ऐसा नेता आए जो उनकी बुलंदियों को छु सके। वहीं टीएमसी नेता शाहिद परवेज़ ने भी सुब्रत मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे पार्टी के साथ साथ पूरे पश्चिम बंगाल के लिए एक अपूरणीय क्षति करार दिया। उन्होंने बताया कि सुब्रत मुखर्जी के राजनीतिक क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह महज 27 साल की उम्र में ही कोलकाता के जोड़ासांको से विधायक बनकर सिद्धार्थ शंकर राय की कैबिनेट में मंत्री बन गए थे। इतना ही नहीं वह 2001 से 2005 तक कोलकात्ता के मेयर भी रहे और वहां भी उन्होंने अपनी कार्यकुशलता का अनुठा उदाहरण पेश किया। शाहिद परवेज़ ने कहा कि राजनीति में कई उतार चढ़ाव देखने के बाद भी उनके मिलनसार और हंसमुख स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया। साथ सी उन्होंने पश्चिम बंगाल के लिए जो किया है वह इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा रहेगा। इस मौके पर तृणमूल कांग्रेस के दर्जनों समर्थक मौजूद थे।

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