किसान आंदोलन नहीं देश की अखंडता के लिए दिशाहीन बेलगाम आंदोलन – सुरेन जालान
आसनसोल । देश की अखंडता के हित के लिए विघटनवादी ताकतों को किसान आंदोलन के नाम पर जो ताकत मिल रही थी। उसे समझ कर देशहित के लिए हमारे प्रधान गुरु एवं प्रकाश पर्व के दिन जो किसान बिल की वापसी एवं माफीनामा देकर यह समझ आ रहा है। हमारे प्रधान को पुनः मूषक भव:का वरदान देना ही होगा। उक्त बातें आसनसोल के सामजसेवी सह व्यवसायी सुरेन जालान ने कही। उन्होंने कहा कि बीते 19 तारीख के बाद जितने भी कानून देश हित के लिए बने है। इनसे सबको डर है। विघटनवादियों की आवाजें उठ रही है। सब को वापस लो। यह किसान आंदोलन नहीं देश की अखंडता के लिए दिशाहीन बेलगाम आंदोलन है। मूषक को बिल्ली से डर लगता था। बिल्ली को कुत्ते से डर लगता था। कुत्ते को बाघ से डर लगता था। मुनि द्वारा सभी वरदान देने के बाद। वे उनकी रक्षा करते थे। मुनि बाबा का वरदान मिलते ही मूषक ने मुनि की हत्या करने की ठान ली। मुनि को इस बात का आभास होते ही पूनः मूषक भवः का वरदान दे दिया। आज हमारे विघटनवादियों की स्थिति भी उसी चूहे के समान है।किसान हित आंदोलन तो एक बहाना है। देश को अखंड बनाने में एवं विकास के रास्ते को रोकने का खजाना है। मैं देशहित के किसान भाइयों से अनुरोध करूंगा। छोटे एवं मझोले किसान भाइयों से जो देश को अखंड करना नहीं चाहते हैं। देशहित के लिए इस आंदोलन को 24*7 के अंदर ही समाप्त कर दें। अपील करता हूं। किसी भी विघटनवादी राजनीति को एवं विदेशी ताकतों को आवाज उठाने का मौका न दें। हमारा राष्ट्रहित महान, हमारे सच्चे किसान भाई महान।