आसनसोल मंडल ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक भाग के रूप में खुदीराम बोस और डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनाई
आसनसोल । भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में “आज़ादी का अमृत महोत्सव” के आयोजन के एक भाग के रूप में, पूर्व रेलवे, आसनसोल मंडल ने आज 03.12.2021 को मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय, आसनसोल में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी “खुदीराम बोस और डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनाई। परमानंद शर्मा, मंडल रेल प्रबंधक/आसनसोल, एम.के.मीना/अपर मंडल रेल प्रबंधक-I ने पूर्व रेलवे आसनसोल मंडल के शाखा अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ “डॉ. राजेंद्र प्रसाद और खुदीराम बोस ” के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को ज़ीरादेई, बंगाल प्रेसीडेंसी (वर्तमान में बिहार) में हुआ था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक वकील, शिक्षक, लेखक और भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने 1950 से 1962 तक भारत के पहले राष्ट्रपति का पद संभाला। वे बिहार के प्रमुख नेताओं में से एक के रूप में उभरे और महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक थे। वह भारत के पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति थे और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया था। उन्होंने 1931 के ‘नमक सत्याग्रह’ और 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जेल में डाल दिया गया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय संविधान को बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 1962 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद का 78 वर्ष की आयु में 28 फरवरी, 1963 को निधन हुआ।
शहीद खुदीराम बोस, बहादुर स्वतंत्रता सेनानी का जन्म 3 दिसंबर 1889 को ब्रिटिश भारत में तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी मिदनापुर जिले के मोहबनी में हुआ था। निडरता के प्रतीक खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे युवा क्रांतिकारियों में से एक थे। बोस को ब्रिटिश जज डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि उनके फैसलों को भारतीय राष्ट्रवादियों के खिलाफ पक्षपाती, कठोर और अन्यायपूर्ण माना जाता था। 11 अगस्त, 1908 को बिहार के मुजफ्फरपुर जेल में 18 साल की उम्र में शाहिद खुदीराम बोस को फांसी दे दी गई।