आसनसोल के भाजपा कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन का आरोप लगाया, तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी
आसनसोल। आसनसोल लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद आसनसोल जिला भाजपा के सांगठनिक नेतृत्व के भीतर अंदरूनी कलह बढ़ रही है। कुछ दिन पहले, जिला अध्यक्ष दिलीप दे ने भाजपा के दो जिला उपाध्यक्षों और एक कार्यालय प्रभारी पर पार्टी की हार के कारणों का पता लगाने के लिए पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में विरोध प्रदर्शन में मदद करने और उकसाने का आरोप लगाया था। उन्होंने ने तीनों को 48 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा गया है। इस बीच धादका स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 के पास भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में बुधवार दोपहर एक बैठक हुई। बैठक में जिला पर्यवेक्षक विद्यासागर चक्रवर्ती, राज्य समिति के सदस्य कृष्णेंदु मुखर्जी, जिला अध्यक्ष दिलीप दे, विवेकानंद भट्टाचार्या, पवन सिंह, बप्पा चटर्जी और अन्य नेता मौजूद थे। तीनों नेताओं ने बैठक में कोई जवाब नहीं दिया और वह उपस्थित भी नहीं थे। बैठक में निर्वाचन क्षेत्र स्तर तक चुनाव में जिस प्रकार से हिंसा हुई थी। उसकी एक वीडियो बनाई गई है। वहीं 2 मई के आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। उस दिन उस वीडियो को दिखाया जाएगा। हालांकि आज की बैठक में किसी ने पार्टी की अंदरूनी कलह या लोकसभा उपचुनाव पर कोई सवाल नहीं उठाया। वहीं आसनसोल नगर निगम के पूर्व मेयर सह भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने मंगलवार को लक्ष्मी भंडार समेत राज्य सरकार की सामाजिक योजनाओं समेत दो मुद्दों को लेकर ट्वीट किया था। उन्होंने कहा कि आसनसोल लोकसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत के पीछे एक बड़ी वजह है। पार्टी के अलग-अलग तबकों में इसे लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। कयास भी लगाए जा रहे है कि जितेंद्र तिवारी अपनी घर वापसी कर सकते है। आसनसोल लोकसभा उपचुनाव में कुल्टी विधानसभा चुनाव के प्रभारी रहे भाजपा राज्य समिति के सदस्य विवेकानंद भट्टाचार्य ने बुधवार को कहा कि जितेंद्र तिवारी का मुखौटा साफ हो गया है। वह जल्दी पार्टी बदल सकते है। इस बारे में जब जितेंद्र तिवारी से पूछा गया तो वह विवेकानंद भट्टाचार्या की बातों का जवाब देना उचित नहीं समझे। इस बीच जितेंद्र तिवारी के ट्वीट पर तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश सचिव और आसनसोल नगर के संयोजक वी शिवदासन दासू ने कहा कि वह इस बारे में क्या कह सकता है। राज्य नेतृत्व तय करता है कि किसको पार्टी में शामिल किया जाएगा। पार्टी के निर्णय को सभी को मानना पड़ता है।