जमीन म्यूटेशन होता है 2,000 रुपया, प्रशासनिक बैठक में ममता बनर्जी ने दलालों का किया पर्दा फांस
पुरुलिया। प्रशासनिक बैठकों में सरकारी कार्यों में लगे विभिन्न आरोपों से सीधे अधिकारियों को आगाह करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकारी काम करते हुए प्रताड़ना पीड़ितों के साथ सीधी प्रशासनिक बैठक में नजर आईं। मुख्यमंत्री ने पीड़ितों के नाम पर मांगी जा रही राशि का भी पर्दा फांस कर दिया। सोमवार पुरुलिया की प्रशासनिक बैठक में जमीन के म्यूटेशन के लिए लिए जा रहे लोगों के उत्पीड़न के आरोप को लेकर मुख्यमंत्री मुखर हुई। पुरुलिया प्रशासनिक बैठक की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने शिकायत की कि पुरुलिया जिले में आदिवासी समुदाय के कई सदस्य जमीन के नामांतरण के लिए भी नहीं जा सके। पुरुलिया के बलरामपुर ब्लॉक में बीएलआरओ कार्यालय के दलालों के खिलाफ सबसे पहले मुख्यमंत्री ने आवाज उठाई। उस समय मंच पर कई आदिवासी परिवार के सदस्य मौजूद थे, जैसे कि जिन्हें भूमि परिवर्तन के लिए रिश्वत देने के लिए कहा गया था। मुख्यमंत्री ने बलरामपुर के आईसी पर खड़े होकर पूछा, ‘क्या आप बलरामपुर में बीएलआरओ कार्यालय को जानते हैं? कार्यालय के विपरीत दिशा में दो दुकानें हैं। करली किंकर और प्रियंका किस्म 7 बीएलआरओ कार्यालय में जमीन का म्यूटेशन होते ही दोनों दुकानों को भेज दिया जाता है जो लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं, उन्हें बताया जा रहा है कि जमीन के नामांतरण के लिए दरें लागू कर दी गई हैं 1500 से 2000, 1000 से 2000 भूमि का आकार बढ़कर तीस हजार हो गया है। मुख्यमंत्री ने आईसी को तुरंत आरोपों की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। बलरामपुर के बाद ममता ने हुड्डा के बीएलआरओ कार्यालय की भी की शिकायत पीड़ित राजन हेम्ब्रम ने खड़े होकर ममता के हाथों में दस्तावेजों को देखा और कहा कि दलाल ने जमीन के म्यूटेशन के लिए व्यक्ति से प्रति पृष्ठ 100 रुपये की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि दो भाइयों माधव महतो और यादव महतो से भी नामांतरण के लिए मोटी रकम मांगी गई थी।
प्रशासनिक कर्मचारियों पर फूटा ममता बनर्जी का गुस्सा, कहा-मेरी पार्टी के सदस्य होते तो चार थप्पड़ मारती
– बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को पुरुलिया में प्रशासनिक बैठक के दौरान सरकारी हिसाब-किताब में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर अपना आपा खो दिया और जिलाधिकारी से बातचीत करते हुए कहा कि कुछ प्रशासनिक कर्मचारी ही यह कर रहे हैं। यदि वे पार्टी के सदस्य होते तो चार थप्पड़ मारती। दरअसल तृणमूल के एक नेता ने प्रशासनिक बैठक में मुख्यमंत्री से शिकायत की कि स्थानीय ईंट-भट्ठों से एकत्र किए गए सरकारी राजस्व का हिसाब नहीं है। यह राशि चंद प्रशासनिक कर्मचारियों की जेब में जा रही है। इस तरह के आरोप सामने आने पर मुख्यमंत्री भडक़ गईं और जिलाधिकारी से पूछा, डीएम सुन रहे हैं? तो ये सब तृणमूल ने नहीं किया है। प्रशासन के निचले तबके के लोग कर रहे हैं। फिर उन्होंने कहा, पैसे खुद लेते हैं, खुद खाते हैं! आप (जिलाधिकारी) कैसे जिला चला रहे हैं? आप इतने दिनों से जिले में हैं। मेरी धारणा बदल गई है। ममता यहीं नहीं रुकीं, आगे कहा, मैं लोगों को इतना दे रही हूं, फिर भी कुछ लोग इतने लालची क्यों हो गए हैं और कितना चाहिए? अगर वह मेरी पार्टी के सदस्य होते, तो मैं खींचकर चार थप्पड़ मारती। उन पर (पार्टी पर) मैं सभी समय शासन करती हूं। ममता ने जिलाधिकारी से यह भी कहा, मैं बात कर रही हूं, आपकी पुलिस जाएगी, जांच करेगी। इसे कहते हैं प्रशासन, इसे कहते हैं काम। जब गरीब लोग शिकायत करते हैं, तो मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकती। चाहे वह कोई हो। प्रशासन के एक हिस्से के काम को लेकर नाराज ममता बनर्जी ने कहा, घूमने और तस्वीरें लेने का कोई मतलब नहीं है। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि पट्टे की पहचान क्यों नहीं की गई। उन्होंने भूमि एवं भूमि सुधार अधिकारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, जो ‘द्वारे सरकार’ में जा रहे हैं वे काम करेंगे। कोई और अनुरोध नहीं, बस सीधे निर्देश दें और काम होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने झलदा नगर पालिका चेयरमैन सुरेश अग्रवाल को वर्क रिकॉर्ड लेते हुए नियमित व्यायाम करने की सलाह दी। उन्होंने पुरुलिया की प्रशासनिक बैठक में पेट और वजन कम करने के लिए चेयरमैन को कई सुझाव दिए। पकौड़ी खाने की मनाही की। प्रत्येक दिन 12 घंटे के अंतर पर खाने की सलाह दी। सुबह में पैदल चलने एवं व्यायाम करने को कही।