दुर्गापुर । दुर्गापुर के विधाननगर स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में प्रेमचंद जयंती एक नई सोच एक नए तरीके से मनाई गई। कार्यक्रम के संचालक प्रेक्षा शर्मा और करण जोगी ने पूरे कार्यक्रम को बड़ी सुन्दरता से संचालित किया।कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। उसके बाद पटपत्रिका का अनावरण प्रधानाचार्य के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। दीप प्रज्ज्वलन के बाद प्रधानाचार्य उमेश चंद जैसवाल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस समय पूरा साहित्य, समाज को तिलिस्म और जादू – टोने की गलियों में भटका रहा था, उस समय प्रेमचंद जी ने समाज को वास्तविकता से परिचित कराया कि हमारा समाज ऐय्यारी के मोहपाश में नहीं गरीबी, भूखमरी, लगान के जाल में जकड़ा हुआ है। हमारे पात्र राजा, रानी और ऐय्यार नहीं गरीब किसान, मजदूर और निम्नमध्यवर्गीय वे लोग हैं जो जिंदगी की जद्दोजहद में भी अपने सिद्धांत, अपने आदर्श, अपने रिश्ते नहीं छोड़ते।प्रधानाचार्य के वक्तव्य के बाद उन बच्चों को प्रमाण पत्र दिए गए जिन्होंने रचनात्मक लेखन में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्रमाण पत्र न केवल उनके कार्य का प्रमाण होते हैं बल्कि उन्हें भविष्य के लिए प्रोत्सहित भी करते हैं। इसके बाद नाटक ‘सुभागी’ प्रस्तुत किया गया जिसमें बच्चों ने बड़ी ही सुन्दरता से एक जीवट महिला सुभागी के किरदार को मंच पर जीवंत कर दिया। प्रेमचंद जी ने जिस प्रकार साहित्य की दशा और दिशा बदली उसी विचारधारा पर आधारित नाटक ‘हाशिए पर पड़े समाज के लेखक :प्रेमचंद’प्रस्तुत किया गया। जिसमें उनकी रचनाओं की मूलभावना को उकेरने का प्रयास किया गया। इस पूरे कार्यक्रम में कक्षा सातवीं से लेकर कक्षा बारहवीं तक के बच्चों ने बड़े जोशो खरोश के साथ भाग लिया। कार्यक्रम का समापन हिंदी विभागाध्यक्ष “डॉ. शोभा ठाकुर” जी ने सभी प्रतिभागी छात्रों का आभार व्यक्त करते हुए किया।