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भरत चरित्र त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम का दूसरा उदाहरण – राम मोहन जी महाराज

भरत चरित्र सुनकर श्रद्धालु हुए भाव विभोर

आसनसोल । जीटी रोड बड़ा पोस्ट ऑफिस के पास महावीर स्थान मंदिर में महावीर स्थान सेवा समिति की ओर से आयोजित 9 दिवसीय रामकथा प्रवचन के छठवें दिन श्री राम मोहन जी महाराज ने भरत चरित्र प्रसंग पर कथा सुनाए। मुख्य रूप से भरत की माता कैकेयी से मिलन और कौशल्या, गुरु वशिष्ठ से मिलन संवाद पर कथा सुनाए। कैकेयी माता को भरत ने कहा ऐसी क्या आफत आ गई थी कि पिताजी के मृत्यु सैया पर भ्राता श्रीराम को वनवास भेज दी। तुमको थोड़ी सी भी दया नहीं आई। तुम तो तुम्हारी मां जैसी निकली। उनकी मन भी कैकई नरेश की इसी तरह मरवा दिया था। फिर गुरु वशिष्ठ से इनका बहुत ही आध्यात्मिक संवाद हुआ। जिसका गुरु वशिष्ठ भी उत्तर नहीं दे पाए। भारत जी ने गुरु वशिष्ठ से पूछा कि गुरुदेव आपकी छत्रछाया में अयोध्या और राजा दशरथ का साम्राज्य चल रहा था। फिर यह अघटन कैसे घटा। इसका जिम्मेवार कौन है? उन्होंने साफ-साफ लहजो में कह दिया कि इसके जिम्मेदार आप हैं। इन सबों ने क्यों नहीं मना किया। गुरु वशिष्ठ ने कहा कि तुम्हारे पिता ने कैकेयी को दो वचन दिया था। वह मंथरा के कहने पर कैकेयी ने वह दोनों वचन मांग ली। जिसके कारण यह अघटन घटा। भरत ने पूछा कि वह दो वचन क्या थे? गुरु वशिष्ठ ने कहा कि पहला वचन भरत को राजगद्दी और दूसरा वचन राम को 14 साल का तपस्वी भेष में वनवास। तब भरत ने गुरु वशिष्ठ से कहा कि गुरु जी आप तो इतने ज्ञानी हैं। पहला वचन पूरा हुआ नहीं दूसरा वचन कैसे पूरा किया गया। पहला वचन था भरत को राजगद्दी मिले। उस समय में ननिहाल में था। मुझे बुलाकर राजतिलक किया जाता। उसके बाद राम को वनवास होता। राम को मनाया जाता, मानना वह मेरी जिम्मेदारी थी। माता-पिता प्रभु और गुरु उनकी वाणी में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने हनुमान जी की कथा पर भजन सुनाया। आठवें दिन 8 तारीख को हनुमान जी की कथा दिव्य रूप से होगी। जिनकी लागी लगन हनुमान में उनका दीया भी जलेगा तूफान में। कथा के दौरान प्रसंग के माध्यम से कथावाचक राम मोहन जी महाराज ने बताया कि भ्रातृत्व प्रेम किसी का है तो वह भरत का। वर्तमान समय में भरत चरित्र की बहुत बड़ी प्राथमिकता है। वहीं भरत चरित्र त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम का दूसरा उदाहरण है। इस मौके पर दयाशंकर अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल, उषा अग्रवाल, वंदना अग्रवाल, स्मिता शर्मा, रीता शर्मा, शंकर लाल शर्मा, टुनटुन गाडिया, भवानी शंकर बर्नवाल, सज्जन भूत, प्रकाश अग्रवाल, दीपक तोडी, विष्णु जालूका, मुन्ना शर्मा ने आरती व पूजा की।मौके पर जगदीश प्रसाद केडिया, अरुण शर्मा, बालाजी ज्वेलर्स के मालिक प्रभात अग्रवाल, संजय शर्मा, दिनेश लडसरिया, बजरंग लाल शर्मा, अमर भगत, अनिल सहल, जितेंद्र बर्नवाल, सावरमल अग्रवाल, बंसीलाल डालमिया, संजय अग्रवाल, प्रकाश अग्रवाल, शिव प्रसाद बर्मन, अरुण बर्नवाल, सुरेंद्र केडिया, प्रेमचंद केसरी, संजय शर्मा, विनोद केडिया, विकास केडिया, वासुदेव शर्मा, महेश शर्मा, सज्जन भूत, मुकेश शर्मा, मनीष भगत, अभिषेक बर्मन, राजू शर्मा, मुंशीलाल शर्मा, प्रकाश अग्रवाल, अक्षय शर्मा, अजीत शर्मा, राजकुमार केरवाल, निरंजन पंडित, जगदीश पंडित, श्याम पंडित, विद्यार्थी पंडित, बजरंग शर्मा, रौनक जालान, दीपक गुप्ता सहित सैकड़ों गण्यमान्य श्रद्धालु शामिल थे।

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