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ईश्वरचंद्र विद्यासागर की जयंती पर बच्चों के बीच बांटे गए वर्णपरिचय

आसनसोल । बांगला वर्णमाला वर्णपरिचय के रचयिता ईश्वरचंद्र विद्यासागर की 202वीं जयंती के अवसर पर रविवार को आसनसोल के उषाग्राम इलाके में बच्चों में वर्णपरिचय की किताब बांटी गयी। इस मौके पर आसनसोल नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि आज 21वीं शताब्दी में हम महिला सशक्तिकरण और महिला शिक्षा की बात कर रहें हैं। लेकिन ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने 19वीं सदी में ही महिलाओं को शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। वर्ष 1850 में विद्यासागर ने वर्णपरिचय किताब लिखी थी। आज 170 सालों बाद भी बांगला भाषा में शिक्षित होने की पहली सिंढ़ी यही वर्णपरिचय है। किसी कि हिम्मत नहीं है कि बिना वर्णपरिचय, परिचय पढ़े कोई शिक्षित हो जाए। उन्होंने कहा कि विद्यासागर के जन्मदिन के साथ साथ मेदिनीपुर की एक और संतान मातंगिनी हाजरा की पुण्यतिथि है। मेदिनीपुर की इन दो संतानों ने देश को काफी कुछ दिया है और आज यह सिर्फ बंगाल ही नही बल्कि पूरे देश का गौरव है। अमरनाथ चैटर्जी ने कहा कि जिस तरह से विद्यासागर महिलाओं की शिक्षा के साथ साथ विधवा विवाह जैसे कार्यक्रमों के जरिए महिला सशक्तिकरण पर जोर देते थे ठिक वैसे ही राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी महिलाओं के लिए कई योजनाएं लायीं हैं जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बने। इस दौरान पूर्व पार्षद सुकुल हेम्ब्रेम, तृणमूल नेता सीटू रुद्रो सहित अन्य मौजूद थे।

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