शिल्पांचल में नहीं दिखा बंद का कोई असर
आसनसोल । केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन किसान बिलों के विरोध में और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने की मांग पर सोमवार को पूरे देश के साथ साथ बंगाल में भी संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से एक दिन के बंद का आह्वान किया गया था। इसके समर्थन में वामपंथी श्रमिक संगठन सीटू की तरफ से एक रैली निकाली गई। रैली बीएनआर से शुरू होकर आसनसोल सिटी बस स्टैंड तक गई। इसके बाद यह रैली बीएनआर तक वापस आकर समाप्त हुआ। इस रैली में वरिष्ठ वामपंथी नेता पार्थो मुखर्जी, सत्यजीत चैटर्जी, जयदीप चक्रवर्ती, हेमंत सरकार सहित तमाम सीटू समर्थक श्रमिक उपस्थित थे।
रैली में शामिल नेताओं ने केंद्र की भाजपा सरकार के तीनों किसान बिलों को तुरंत रद्द करने की मांग की। इनका आरोप था कि यह बिलें पूंजीपतियों के स्वार्थ की रक्षा के लिए बनाईं गईं हैं और इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। वहीं दुसरी तरफ इसी मुद्दे पर बर्नपुर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से भी बीएनआर इलाके में तकरीबन दस मिनटों के लिए पथावरोध किया गया। मौके पर पुलिस पहुंचकर पथावरोध को हटायी। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने भी केंद्र सरकार की तीव्र निंदा करते हुए इन तीनों बिलों को रद्द करने और किसानों के फसल पर न्युनतम समर्थन मुल्य बढ़ाने की मांग की ।
हालांकि आसनसोल शिल्पांचल में संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से बुलाए गए बंद का असर नहीं दिखा। विशेषज्ञों की मानें तो बंद के मुद्दे को भले सबका समर्थन हो लेकिन बंद का समय जो चुना गया वह बंगाल के लोगों को रास नहीं आया। चंद दिनों बाद बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गापूजा है। इस एक त्योहार का बंगाल का हर इंसान छोटे से बड़ा व्यापारी इंतजार करता है। ऐसे में पूजा आने के पहले बंद को आम लोगों का समर्थन नहीं मिला। खासकर तब जबकि कोरोना के कारण जारी लॉकडाउन के बाद प्रदेश की आर्थिक स्थिति धीरे धीरे पटरी पर आ रही है। यही वजह है कि बंद में शिल्पांचल में दुकानें खुली रही। यातायात व्यवस्था भी अन्य दिनों की तरह सामान्य रही। वहीं आसनसोल नगर निगम सहित सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में भी उपस्थित सामान्य दिनों की ही तरह रही।