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सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अखिल भारतीय करदाताओं का संगठन ने किया स्वागत

आसनसोल । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार अखिल भारतीय करदाताओं का संगठन बनाने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला किया, जो दुनिया की सबसे बड़ी संस्था होगी। कोई भी सरकार इस संस्था की मंजूरी के बिना मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त वितरण या ऋण माफी की घोषणा नहीं कर सकती, चाहे कोई भी सरकार सत्ता में हो। चूंकि यह पैसा हमारे करदाताओं का है, इसलिए करदाताओं को इसके इस्तेमाल की निगरानी करने का अधिकार होना चाहिए। उक्त बाते आसनसोल के व्यवसायी सुरेन जालान ने कही। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल वोट के लिए मुफ्त चीजें बांटकर जनता को लुभाते रहते हैं। जो भी परियोजनाएं घोषित की जाती हैं, सरकार को सबसे पहले उनका खाका प्रस्तुत करना चाहिए और इस निकाय से अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए। यह सांसदों और विधायकों के वेतन और उन्हें मिलने वाले अन्य गैर-विवेकाधीन लाभों पर भी लागू होना चाहिए। क्या लोकतंत्र केवल मतदान तक ही सीमित है? उसके बाद करदाताओं के रूप में हमारे पास क्या अधिकार हैं? करदाताओं को सांसदों, विधायकों को जवाबदेह ठहराने और संसद के कामकाज में बाधा डालने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार होना चाहिए। उन्हें सभी “सेवकों” के बाद करदाताओं द्वारा भुगतान किया जाता है। ऐसी किसी भी “मुफ्त सुविधाओं” को वापस लेने का अधिकार भी जल्द ही लागू किया जाना चाहिए। अगर आप सहमत हैं, तो कृपया ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से संपर्क करें। ऐसा करने के लिए, पोस्ट को शेयर करें। इसे अपने कम से कम 10 दोस्तों को भेजें। कृपया इस संदेश को जल्द से जल्द वायरल होने के लिए शेयर करें। उन्होंने कहा कि सरकार से आग्रह है कि करदाताओं के लिए एक अलग मंत्रालय होना चाहिए। चाहे आउटडोर हो या इंडोर हो। ऐसा नहीं करना देशहित एवं करदाताओं के लिए अपमान के बराबर है। करदाताओं को बिना मंत्रालय दिए बिना उनको अपमान करना है। करदाताओं को शपत ग्रहण के पहले या बाद में राय मसावरा लेने के लिए जरूर बुलाया जाए। सुरेन जालान ने कहा कि उनका पूरा परिवार सभी प्रकार का टैक्स देता है।
   
 
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