सच्चे लोकतंत्र की जरूरत है – सुरेन जालान
आसनसोल । सच्चे लोकतंत्र एवं मर्यादित संविधान की गौरवपूर्ण भाषा हिन्दी का ही उपयोग होना चाहिए।जिस देश की जनसंख्या के लोग एक प्रतिशत से भी कम अंग्रेजी नहीं जानते हैं। देश की पूरी न्यायपालिका एवं प्रशासनिक व्यवस्था में अंग्रेजी का ही उपयोग होता है। यह हमारे लोकतंत्र का दुर्भाग्य है। जिस देश की आबादी में 2 लाख 70 हजार लोग अंग्रेजी मातृभाषा वाले हो उस देश का सुप्रीम कोर्ट सारे निर्णय अंग्रेजी में ही देगा। यह कहां का लोकतंत्र है। मेरे देश में मेरे सुप्रीम कोर्ट में अपनी भाषा बोल नहीं सकते, फिर लोकतंत्र का मतलब क्या होता है। केस मेरा है मुझे हिंदी आती है, मेरे वकील ने अंग्रेजी में कुछ-कुछ बोला, जज ने कुछ कुछ बोला फैसला हो गया और मुझे पता ही नहीं चला और इधर मैं परेशान हूं कि मामले के किसी भी प्रसंग में मेरी भूमिका ही नहीं है। क्योंकि सारी प्रक्रिया दो ऐसे व्यक्तियों के बीच में चल रही है जिनके पास एक भाषा है, जो मेरी भाषा नहीं है। जबकि मामला मेरा है पर कहने को लोकतंत्र है। यह लोकतंत्र नहीं है। यह भाषा के स्तर पर तानाशाही है। हमें एक समाज के तौर पर शर्म आनी चाहिए। यह उससे कम बात नहीं है।