जो राज्य के नागरिक नहीं है, वे अपने राज्य में जाकर करे व्यापार
बंगाल के इतिहास जिन्हे जानकारी नहीं वे कह रहे इस प्रकार की बाते
दुर्गापुर/आसनसोल । दुर्गापुर नगर निगम के एडमिनिस्ट्रेटिव मीटिंग में कहा कि दुर्गापुर शहर में फुटपाथों पर या रास्तों के किनारे ऐसे कई छोटे-छोटे दुकानदार बैठ गए हैं, जो इस राज्य के नागरिक नहीं है लेकिन यहां पर व्यापार कर रहे हैं जिस वजह से दुर्गापुर शहर पर बोझ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर उनको गोलगप्पा बेचना है या चना बेचना है या उनको खटाल बनाना है तो वह जहां से आए हैं वहां चले जाएं और वहां जाकर अपना व्यापार करें। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से बंगाल पर पड़ने वाला बोझ कम होगा। जब उनसे पूछा गया कि यही लोग तो टीएमसी की रैलियां में शामिल होते हैं तो इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। टीएमसी का इतना खराब दिन नहीं आया है कि इन बाहरी लोगों को रैली में बुलाना पड़े। इस बारे में जब हमने आसनसोल के पूर्व मेयर सह भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी से बात की तो उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं उनको बंगाल की संस्कृति का पता नहीं है। पहले कोलकाता भारत की राजधानी हुआ करती थी। तब बंगाल बिहार झारखंड सब एक थे। उसके बाद जब बंगाल का विभाजन हुआ और बिहार राज्य का गठन हुआ। तब बहुत से हिंदी भाषा लोग यहीं रह गए। उन्होंने कहा कि उसके बाद जब झारखंड का गठन हुआ तो वहां भी ऐसे कुछ जगह बने जहां पर बड़ी संख्या में बांग्ला भाषा लोग रहते हैं। इसमें धनबाद में मास्टर पाड़ा नामक स्थान पर बड़ी संख्या में बांग्ला भाषा लोग रहते हैं। ठीक उसी तरह बंगाल में भी बड़ी संख्या में हिंदी भाषी लोग रहते हैं। जितेंद्र तिवारी ने कहा कि वह हिंदी भाषा बंगाली है। बंगाल में बांग्ला भाषा बंगाली भी रहते हैं। उर्दू भाषा बंगाली भी रहते हैं। बंगाल में जो भी रहता है। वह बंगाली है। उन्होंने कहा कि बंगाल की संस्कृति सबको साथ लेकर चलने की संस्कृति है। यह समावेशी संस्कृति है। छठ पूजा के दौरान बांग्ला भाषी महिलाएं छठ घाट पर जाती हैं और पूरी श्रद्धा के साथ प्रसाद लेकर अपने परिवार वालों को देती हैं। वही सैकड़ो की तादाद में बांग्ला भाषा लोग छठवृतियों के लिए रास्ता साफ करते हुए झाड़ू देते हैं। उन्होंने कहा कि टीएमसी के यह नए नेता हैं जिनको बंगाल के इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। वह सिर्फ अपने नेताओं को खुश करने के लिए इस तरह की बातें कह रहे हैं। इनको ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।