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खांद्रा ग्राम पंचायत नीलकंठ मंदिर का एक अपना इतिहास है – श्रीकांत मुखर्जी

अंडाल । खांद्रा ग्राम पंचायत अंतर्गत स्थित नीलकंठ मंदिर प्रांगण में सावन महीने के पहला सोमवारी को लेकर उमड़ी भीड़ हजारों की संख्या में महिला पुरुषों ने बाबा नीलकंठ मंदिर में जल अर्पित किया हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पांडवेश्वर अजय नदी से बाबा भोलेनाथ के भक्तों ने जल लेकर पैदल यात्रा कर बाबा नीलकंठ मंदिर प्रांगण पहुंचे एवं जल अर्पित किया। बाबा नीलकंठ मंदिर कोयलांचल का पुराना एवं महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। हर वर्ष हजारों की संख्या में भक्तगण यहां पर उपस्थित होते हैं और बाबा नीलकंठ मंदिर का दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि यहां पर सच्चे दिल से मांगी गई मनोकामना पूरी होती है। इस विषय में पुरोहित श्रीकांत मुखर्जी ने कहा कि बाबा नीलकंठ मंदिर बहुत पुराणिक मंदिर है। इसका एक अपना इतिहास है। यहां पर पहले घना जंगल था। चरवाहा यहां गाय चराने आता था। गाय अपना स्तन रख कर अपना स्थन का दूध वहां गिरा देती थी। चरवाहा एक दिन देख लिया। उसे जगह का खुदाई किया। उसके बाद वहां पर शिवलिंग निकला। इस बात की जानकारी होने पर ग्रामीण धीरे-धीरे वहां पहुंचने लगे और बाबा शिवलिंग का पूजा उसी दिन से शुरू हो गया। आज तक चल रहा है। इस मंदिर की अलग ही महिमा है।

   
 
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