शिल्पांचल में महाष्टमी की पूजा व पुष्पांजलि हर्षोल्लास के साथ संपन्न
आसनसोल । दुर्गापूजा की अष्टमी के अवसर पर आसनसोल सहित शिल्पांचल के तमाम पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं ने पुष्पांजलि दी। युं तो दुर्गापूजा के चारों दिन मां की पूजा होती है, पुष्पांजलि दी जाती है। लेकिन महाष्टमी की पूजा और पुष्पांजलि का अलग ही महत्व है। इस दिन नवरात्र का पालन करने वाले मां दुर्गा के महागौरी रुप की आराधना करते हैं। महाष्टमी के दिन मुहुर्त के अनुसार श्रद्धालु पूजा पंडालों में पंहुचते हैं। इस दिन वह सुबह से उपवास करते हैं और पुष्पांजलि देकर ही कुछ खाते हैं।
युं तो दुर्गापूजा के सभी दिन बंगाल के लोगों के लिए खास है लेकिन महाष्टमी के दिन लोगों का उत्साह देखते ही बनता है । नए वस्त्रों से सुसज्जित होकर लोग पंडालों का रुख करते हैं। महिलाएं इस दिन बंगाल की धरोहर लाल आंचल की साड़ी पहनकर और हाथों में पूजा का सामान लिए नंगे पैर पंडालों की तरफ जाती हैं। दरअसल यह मां की भक्ति है जो इनको माता के दरबार में खींच लाती है। पुरोहित द्वारा मंत्रोच्चार किया जाता है और पुष्पांजलि देने वाले श्रद्धालु उन मंत्रों को दोहराकर मां के चरणों में वह फुल अर्पित करते हैं। इस दिन कई घरों में चावल नहीं बनता। लोग इस दिन पुरी सब्जी खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं।