अच्छे संस्कार चाहिए तो सत्संग में अपने बच्चों को ज़रूर भेजे और वहां उनसे सेवा भी करवाए व स्वयं भी करे – यशोदा नंदन जी महाराज
आसनसोल । समस्त शिल्पांचल वासियों की ओर से एनएस रोड शिव मंदिर रोड आसनसोल गौशाला में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन 16 से 23 जनवरी तक किया गया है। भागवत कथा के तीसरे दिन श्री हरिहर आश्रम श्रीधाम वृंदावन से पधारे श्री यशोदा नंदन जी महाराज ने भगवान कपिल देव जी की कथा सुनाई और अमृत वर्षा हुई। तृतीय दिन कथा का शुभारंभ मुख्य यजमान प्रभास गुप्ता, नरेश अग्रवाल एवं कमल शर्मा ने संयुक्त रूप से किया। इसके पूर्व मुख्य यजमान शंकर सुमन शर्मा, नरेश अग्रवाल, आनंद सुष्मिता पारीक, सुजीत सिंपल गुप्ता, कमल अनीता शर्मा, प्रभास सुनीता गुप्ता, आनंद पूनम अग्रवाल आदि मुख्य यजमानो ने प्रातः दैनिक पूजा की उसके पश्चात भागवत कथा के प्रारंभ होने पर गुरुदेव को तिलक एवं माल्यार्पण कर कथा का शुभारंभ करवाया एवं श्रीमद् भागवत जी की आरती की। मद्भागवत कथा आयोजन के तृतीय दिन में श्री यशोदा नंदन जी महाराज जी की वाणी से भगवान कपिल देव जी की कथा की अमृत वर्षा हुई। कथा में बताया बचपन में ही ध्रव जी ने भगवान श्री नारायण के दर्शन किये। महाराज श्री ने बताया कि बचपन एक हरे बांस कि तरह होता है, जो लचकीला होता है, जैसे चाहे उसे मोड़ सकते है। बचपन में ही यदि अच्छी और अनुशासित आदत पड़े तो बालक देश और धर्म का
रक्षक बन सकता है। परन्तु बचपन अगर बिगड़ गया तो वही बालक धर्म से विमुख होकर चलता है।
महाराज श्री ने बताया कि यदि धर्म को बचाना है तोदेश को मजबूती देना होगा, देश सुरक्षित है तो धर्म सुरक्षित है। साथ ही महाराज जी ने बताया कि अच्छे संस्कार चाहिए तो सत्संग में अपने बच्चों को ज़रूर भेजे और वहां उनसे सेवा भी करवाए व स्वयं भी करे।
सेवा में जो झुकता है वही महान बनता है।
जिस पेड़ पर फल नहीं आते
वो न ही किसी को छाया देता
न ही फल। जो मनुष्य जीवन में सेवा करते है
आज श्री मद्भागवत कथा में सुन्दर प्रसंग जैसे जड़ भरत जी की कथा, कपिल देव जी की कथा, भक्त प्रहलाद जी की कथा, राजा बली की कथा में दान की महिमा बताते हुए कहा कि दो वीर होते है एक वीर वो होता हे जो युद्ध मे वीरता की ताक़त रखता है और दूसरा वीर वो होता हे जो दानवीर होता है। इसी के साथ बहुत से उदाहरण भी दिए। वो मनुष्य में महान कहलाते है।