आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान करने वाले पहले साहित्यकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की मूर्ति का किया गया अनावरण
आसनसोल । विवेकानंद सारणी(सेनरेले रोड) स्थित एचएलजी मोड़ के पास आसनसोल नगर निगम के तरफ से आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान करने वाले पहले साहित्यकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की मूर्ति का अनावरण किया गया। मौके पर निगम के मेयर विधान उपाध्याय, चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी, एमएमआईसी गुरुदास चटर्जी, सुब्रत अधिकारी, पार्षद श्रावणी मंडल, दिलीप बराल, मौसमी विश्वास, निगम के कार्यपालक बीरेंद्र अधिकारी, मूर्तिकार सुशांत राय सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मेयर विधान उपाध्याय और चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी ने पर्दा हटाकर एवं माल्यार्पण कर मूर्ति का अनावरण किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमरनाथ चटर्जी ने कहा कि निगम हमेशा प्रयास करता है कि भारत के मनीषियों, साहित्यकारों की याद में उनकी मूर्ति स्थापित की जाए। ताकि लोग जागरूक हो। उन्होंने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चाहती थी कि पश्चिम बंगाल में एक ऐसी वातावरण तैयार हो जहां इतिहास की बात हो। अमरनाथ चटर्जी ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने लेखन और देशभक्ति गीत “वंदे मातरम” के माध्यम से लोगों में जागरूकता और प्रतिरोध की भावना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने उपन्यासों और लेखन के माध्यम से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह की चेतना का निर्माण किया। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध भारतीय उपन्यासकार, कवि और पत्रकार थे। उन्होंने 1875-76 में “वंदे मातरम” गीत लिखा, जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण नारा बन गया। उन्होंने कहा कि बंकिम चंद्र ने अपने उपन्यासों में भी देशभक्ति की भावना को बढ़ावा दिया, विशेष रूप से “आनंदमठ” में, जिसमें 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन है। अमरनाथ चटर्जी ने कहा कि अभी भी जब हमलोग कोई आंदोलन या कोई विकास मूलक कार्य से युक्त रहते है या जातीयवाद की बात करते है तब वंदे मातरम की ही बात बोलते हैं। हमलोग बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के पास जीवन भर ऋणी रहेंगे। आज डेढ़ सौ साल बाद भी उनकी लिखी गीत हमलोगों को प्रेरणा स्रोत बनी हुई है।