आसनसोल मंडल ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के एक हिस्से के रूप में बिरसा मुंडा और जवाहरलाल नेहरू की जयंती मनाई
आसनसोल । भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे “आजादी का अमृत महोत्सव” के आयोजन के हिस्से के रूप में पूर्व रेलवे के आसनसोल मंडल ने सोमवार को मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी “बिरसा मुंडा” और “पंडित जवाहरलाल नेहरू” की जन्मशती समारोह का समेकित रूप से आयोजन किया। इस मौके पर मंडल रेल प्रबंधक परमानंद शर्मा, अपर मंडल रेल प्रबंधक एमके मीणा ने पूर्व रेलवे के आसनसोल मंडल के शाखा अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ “बिरसा मुंडा” और “पंडित जवाहरलाल नेहरू” के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म ब्रिटिश भारत के उत्तर पश्चिमी प्रांत के इलाहाबाद में 14.11.1889 को हुआ था। वे एक उपनिवेश विरोधी भारतीय राष्ट्रवादी, धर्मनिरपेक्ष मानवतावादी, सामाजिक, लोकतंत्रवादी और लेखक थे एवं भारत की एक जानी-मानी शख्शियत थे। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रख्यात नेता थे। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया तथा आधुनिक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान दिलाने में अहम् भूमिका निभायी। 27 मई 1964 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महान शख्सियत बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी के लोहरदग्गा जिले के उलीहातु गांव में हुआ था, जो आज के झारखंड राज्य के खूंटी जिले में अवस्थित है। वे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक नेता और छोटा नागपुर पठार क्षेत्र के मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। वे ‘बिरसैत’ नामक धर्म के संस्थापक थे। वे मुंडाओं के बीच “धरती अब्बा” या ‘पृथ्वी के पिता’ के रूप में विख्यात थे। उन्होंने ब्रिटिश राज को समाप्त करने के लिए गुरिल्ला सेना का गठन किया था। ब्रिटिश राज को धमकी देने वाला उनका नारा था “अबूआ राज सेतेर जाना, महानी राज टुंडू जाना”। उन्हें 3 फरवरी, 1900 को चक्रधरपुर के जामकोपई जंगल में गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में 09 जून, 1900 को रांची जेल में उनका निधन हो गया।