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गरीबों के मुंह से खाना छीन रही है केंद्र सरकार : पार्थ मुखर्जी

आसनसोल । आसनसोल लोकसभा उपचुनाव से सीपीएम उम्मीदवार पार्थ मुखर्जी ने चुरुलिया में काजी नजरूल की जन्मस्थली चुरुलिया में कवि की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर और प्रमिला देवी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित कर अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की। चुनाव की घोषणा के दो दिन बाद वह मुख्य रूप से कोयला खनन क्षेत्रों, गांवों और गांवों में प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सांप्रदायिकता फैलाने वालों के खिलाफ चुरुलिया की जमीन पर खड़े होकर मैं चुरुलियावासी से कहना चाहूंगा कि वामपंथी सभी भाषाओं, धर्मों और जातियों के लोगों के बीच सद्भाव में विश्वास रखते हैं।

काजी नजरूल की विद्रोही कविता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गैस, पेट्रोल, डीजल और मिट्टी के तेल के दाम से लेकर दवाओं के दाम तक गरीबों के मुंह से खाना छीन रही है।शिक्षा का निजीकरण और भगवाकरण किया जा रहा है।एक के बाद एक मिल कारखाने बंद हो रहे हैं और बिक रहे हैं, उन्हें पूंजीपतियों के हवाले कर रहे हैं। इस साल के चुनाव में कर्मचारी, मजदूर, मेहनती लोग, बेरोजगार लोग, छात्र और गृहिणियां तृणमूल और भाजपा सरकारों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बगावत करेंगे और उनके खिलाफ मतदान करेंगे। उन्होंने कहा कि वह कोलियरी माइंस इलाके में लोगों के पास जाकर एक के बाद एक लोगों को बीजेपी की मजदूर विरोधी नीति और टीएमसी की नौकरी न देने की उनकी नीति के खिलाफ, बिगड़ती कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए वामपंथियों को समर्थन करने की अपील कर रहा। चिचुरिया में रविवार को एक अजीब हुआ। एक वृद्ध जिनको एक आँख से दिखता है और एक बुजुर्ग औरत दोनों ने हँसकर कहा‌ कि उन्होंने सुना है कि बैंक में जो बचत हमने रखी है। अब कोई बैंक ही नहीं बचेगा। और ब्याज दर बहुत कम स्तर पर पहुंच गई है। उनका कहना है कि वह नहीं जानता कि जिएं कैसे। अभी दो दिन पहले मैं चित्तरंजन रेलवे फैक्ट्री गया था, वहां के मजदूरों की आंखों में घबराहट देखा। कुछ वर्षों में, श्रमिकों की संख्या में 8000 की कमी आई है। मैंने हरिश्चंद्रपुर सहित कई भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को देखा है, फिर भी उनके पुनर्वास के लिए कुछ नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना में लोगों ने देखा है कि कैसे एकमात्र वामपंथी रेड वालंटियर्स कार्यकर्ता उनके साथ खड़े थे। मैं नौ दिनों में कार से नहीं कम से कम 12 से 16 किलोमीटर पैदल ही चल रहा हूं और गांव गांव शहर की गलियों में घूम रहा हूं। इन कुछ दिनों में, मैं सात विधानसभाओं के एक बड़े हिस्से में प्रचार करने में सक्षम हुआ हूं। अगर इसके लिए रात में पैरों में दर्द होता है तो जिस तरह से तृणमूल और बीजीपी की नीतियों से प्रभावित लोगों के चेहरे मेरी तरफ देख रहे हैं‌ उनको सोचकर सारा दर्द दूर हो जाता है। सोशल मीडिया पर प्रचार किया जा रहा है।

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