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विशिष्ट समाजसेवी कृष्णा प्रसाद रक्तदान शिविर लगाकर, खुद रक्तदान कर लोगों के लिए बने प्रेरणास्त्रोत

आसनसोल । भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपने और अपनों के लिए समय नहीं होता। लेकिन इस दौर में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो स्वार्थ को पीछे छोड़ मानवता की सेवा को समय देते हैं और उसे अपना धर्म समझते हैं। एक ऐसे ही विशिष्ट समाजसेवी सह धार्मिक प्रवृति के धनी हैं शिल्पांचल के आसनसोल निवासी कृष्णा प्रसाद जो खुद तो रक्तदान करते ही हैं दूसरों को भी प्रेरित और जागरूक करने के लिए शिविर लगाकर लाखों रुपया खर्च करते है। ताकि कही कोई व्यक्ति रक्त की कमी से मौत को गले न लगा ले। इसी क्रम में रविवार 19 जनवरी को कल्ला बाईपास में कृष्णा प्रसाद ने मेगा रक्तदान शिविर लगाया। वहीं लोगों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और संध्या के समय भजन कीर्तन का कार्यक्रम हुआ। रक्तदान की जागरूकता को जन जन तक पहुंचने के लिए एवं रक्तदान के लिए प्रेरित करने के लिए खुद भी रक्तदान किया। उनको रक्तदान करते देख उनसे प्रेरित होकर और 100 लोगों ने रक्तदान किया। मौके हरियाणा से आए 234 बार रक्तदान कर विश्व रिकार्ड बनाने वाले ब्रिगेडियर डॉ. सुरेश कुमार सैनी, रक्तदान आंदोलन के प्रणेता प्रबीर धर, आसनसोल के अधिवक्ता श्रीकृष्ण मिश्र ने कृष्णा प्रसाद को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। कृष्णा प्रसाद युवाओं को रक्तदान की राह दिखा मदद का जज्बा पैदा कर रहे हैं।  कृष्णा प्रसाद को रक्तदान में अग्रणी भूमिका के लिए उन्हें कई विभिन्न संस्थानों से सम्मान भी मिल चुके हैं। कृष्णा प्रसाद युवाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं कि वो रक्तदान करें और अपने जीवन को स्वास्थ्य रखें। उन्होंने बताया कि रक्तदान करने से कोई कमजोरी नहीं आती है बल्कि आपके शरीर में नया रक्त बनता है और नई ऊर्जा का संचार होता है। रक्तदान करने से बहुत सी जानलेवा बीमारी भी आप से दूर रहती हैं। कृष्णा प्रसाद ने पत्रकारों को बताया कि वे बीते 30 वर्षों से सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में मरीज को रक्त के लिए गिड़गिड़ाते देख मन में निश्चित किया कि रक्त की कमी से किसी की जान जाने नहीं दूंगा। उसके बाद से वे खुद रक्तदान करते है। दूसरों को रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि रक्त मानव शरीर का एक अनिवार्य अंग है। जिस समाज में हम रहते हैं, उसमें हर दो सेकंड में एक व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता होती है, सर्जरी के दौरान इसकी आवश्यकता होती है, गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं वाली महिलाओं को इसकी आवश्यकता होती है, थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को, हर कैंसर रोगी को आदि। हर बार जब कोई व्यक्ति रक्तदान करता है, तो वह तीन लोगों की जान बचाता है। आज, चिकित्सा समुदाय ने अविश्वसनीय प्रगति की है; खोए हुए अंगों के स्थान पर कृत्रिम अंग, संचार के लिए उपकरण, और यहां तक कि बीमारियों को भी तोड़ा और ठीक किया जा रहा है। फिर भी, रक्त, जो अंगों के बीच पदार्थों के आदान-प्रदान के लिए परिवहन का मुख्य साधन है, केवल दिया जा सकता है, न कि निर्मित या प्रतिस्थापित किया जा सकता है। मुख्य शरीर का इतना महत्वपूर्ण अंग होने के बावजूद, लोग इसे दान करने से पहले क्यों हिचकिचाते हैं? ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि लोग कहेंगे, “दान मत करो या तुम्हारा शरीर कमजोर हो जाएगा”

कृष्णा प्रसाद के सामाजिक, धार्मिक कार्य को लेकर शिल्पांचल में एक चर्चा का विषय बन गया है। शिल्पांचल के हर गली मोहल्ला चौराहे पर कृष्ण प्रसाद की चर्चा हो रही है।

 

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