शिव महापुराण कथा में पांचवे दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म और विवाह पर हुआ प्रवचन
आसनसोल । नारायणी महिला शक्ति समिति द्वारा आसनसोल के रानीसती दादी मंदिर में 18 से 24 जुलाई तक श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया है। कथा के पांचवे दिन शनिवार कथावाचक पंडित संजय जी शास्त्री ने भगवान शिव- पार्वती के संतान श्री गणेश भगवान के जन्म और विवाह पर प्रसंग सुनाया। वहीं गणेश जी भगवान और उनकी पत्नी और दो बच्चों को झांकी बनाया गया था। पंडित संजय शास्त्री जी ने कहा कि भगवान गणेश जी शिव और मां पार्वती की संतान हैं। गणेश जी की पूरी आकृति में सबसे महत्वपूर्ण उनकी सूंड मानी जाती है। इसके अलावा गणेश जी के दो बड़े कान हैं और किसी आम व्यक्ति की तरह उनका बड़ा सा पेट है। गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में 5 सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवानों में एक गणेश जी भी हैं। पढ़ाई, ज्ञान, धन लाभ और अच्छी सेहत के लिए भी गणेश जी की पूजा की जाती है। शिव महापुराण के मुताबिक, गणेश जी का शरीर लाल और हरे रंग का होता है। ब्रह्मावैवर्त पुराण के मुताबिक, मां पार्वती ने संतान पाने के लिए पुण्यक व्रत रखा था। माना जाता है कि इस व्रत की महिमा से ही मां पार्वती को गणेश जी संतान के रूप में मिले थे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मावैवर्त पुराण के मुताबिक, जब सभी भगवान गणेश जी को आशीर्वाद दे रहे थे, उस समय शनि देव सिर को झुकाए खड़े थे। ये देखने पर मां पार्वती ने उनसे उनका सिर झुका कर खड़े होने का कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि अगर वे गणेश जी को देखेंगे तो हो सकता है कि उनका सिर शरीर से अलग हो जाएगा। लेकिन पार्वती जी के कहने पर शनि देव ने गणेश जी की ओर नजर उठाकर देख लिया, जिसके परिणामस्वरूप गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हो गया। ब्रह्मावैवर्त पुराण में ये भी बताया गया है कि शनि देव के देखने पर जब गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हुआ तो उस समय भगवान श्रीहरि ने अपना गरुड़ उत्तर दिशा की ओर फेंका, जो पुष्य भद्रा नदी की तरफ जा पहुंचा था। वहां पर एक हथिनी अपने एक नवजात बच्चे के साथ सो रही थी। भगवान श्रीहरि ने अपने गरुड़ की मदद से हथिनी के बच्चे सिर काटकर गणेश जी के शरीर पर लगा दिया था, जिसके बाद एक बार फिर गणेश जी को जीवन मिला। ब्रह्मावैवर्त पुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने एक बार गुस्से में सूर्य देव पर त्रिशूल से वार किया था। भगवान शिव की इस बात से सूर्य देव के पिता बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान शिव को श्राप दिया कि जिस तरह भगवान शिव ने उनके पुत्र के शरीर को नुकसान पहुंचाया है ठीक उसी प्रकार एक दिन भगवान शिव के पुत्र यानी गणेश जी का शरीर भी कटेगा। एक ये भी पौराणिक कथा है कि एक दिन तुलसी देवी गंगा घाट के किनारे से गुजर रही थीं। उस समय गणेश जी वहां पर ध्यान कर रहे थे। गणेश जी को देखते ही तुलसी देवी उनकी ओर आकर्षित हो गईं और गणेश जी को विवाह का प्रस्ताव दे दिया। लेकिन गणेश जी ने इस प्रस्ताव से मना कर दिया था। गणेश जी से न सुनने पर तुलसी देवी बेहद क्रोधित हो गईं, जिसके बाद तुलसीदेवी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे। इस पर गणेश जी ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा। ये शाप सुनते ही तुलसी गणेश भगवान से माफी मांगने लगीं। तब गणपति ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा लेकिन इसके बाद तुम पौधे का रूप धारण कर लोगी। गणेश भगवान ने कहा कि तुलसी कलयुग में जीवन और मोक्ष देने वाली होगी। लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग नहीं होगा। इसलिए गणेश भगवान को तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है।शिव महापुराण के अनुसार, गणेश जी की दो पत्नियां थीं। रिद्धि और सिद्धि और उनके दो पुत्र शुभ और लाभ हैं। मौके पर सैकड़ों भक्तों ने कथा को ध्यान से सुना। सनद रहे प्रत्येक दिन सुबह में इस पूरे धार्मिक कार्यक्रम में शिव अभिषेक किया जाता है। श्रद्धालु शिव अभिषेक में पहुंचकर लाभ का भागेदारी बनते है। मौके पर शशि अग्रवाल, मंजू शर्मा, पुष्पा माखरिया, मीरा खेमानी, सुशीला अग्रवाल, पिंकी अग्रवाल, प्रेमा अग्रवाल, आशा गाड़ीवान, सुलोचना अग्रवाल, सियाराम अग्रवाल, महेश शर्मा, सुरेन जालान,मोनू अग्रवाल, राहुल माखारिया सहित पूरे समिति के सदस्य मौजूद थे।