489वां पावन प्रकाश उत्सव बड़े ही गुरू मर्यादा के साथ मनाया गया
आसनसोल । गुरु रामदास जी का 489वां जयंती गुरबाणी कीर्तन के लंगर के माध्यम से मनाई गई । सोमवार के दिन बराकर के मैनेजिंग कमेटि श्री गुरू गोबिंद सिंह गुरुद्वारा बराकर की तरफ़ से सिख गुरू गुरू रामदास जी का 489वां के पावन प्रकाश उत्सव बड़े ही गुरू मर्यादा के साथ मनाया गया, जिसमे आसनसोल शिल्पांचल और झारखण्ड की सिख संगत शार्धलु ने हजारों की संख्या मै माथा टेका और गुरबाणी का ज्ञान प्रशाद के माध्यम से ग्रहण किया । अमृतसर दरबार साहिब के हजूरी रागी जत्था सुरेंद्र सिंह ने कीर्तन कर गुरबाणी शब्द का गायन कर संगतों (आय हुवे सहर्धालुओ) को भी बानी का पाठ करवाया “रोगी मरता रोगी जन्में रोगी फिर फिर जोनी भरम” गुरबाणी गायन कर संगतों को निहाल किया। वहीं प्रचारक डॉ मनप्रीत सिंह बांग्ला साहिब दिल्ली से पहुंचे थे उन्होने गुरू रामदास जी की जीवनी के बारे बताया गुरू बानी गुरू मर्यादा के बारे मै संगत को अवगत कराया गुरू की बानी को आदर्श मान कर कैसे हमलेगो को अपने जीवन में रहना है उस बारे मै विचार की । वही इस विषय के बारे मै बराकर गुरुद्वारा साहिब के प्रधान जोगिंदर सिंह ने कहा की हर साल की तरह इस साल भी गुरू रामदास जी का प्रकाश उत्स प्रबंधक कमेटी की तरफ़ से मनाया जा रहा हे दिन में पंडाल में दीवान सजा था शाम को गुरुद्वारा प्रांगण मे दीवान सजा कर गुरबाणी गायन और लंगर का अयोजन होगा बंगाल झारखन्ड की आई हुई संगत का धन्यवाद करते है जिन्होंने अपना इस कार्यकर्म को आकर सफल बनाया।