देखभाल के अभाव में तस्करी से बचाए गए मवेशियों की हालत खस्ता
कोलकाता । भारत-बांग्लादेश सीमा पर पिछले करीब डेढ़ दशकों से रोजाना भारी संख्या में मवेशियों की तस्करी के आरोप लगते रहे हैं । आरोप है कि इस गोरखधंधे से कमाए काले धन से हथियारों की तस्करी, नकली मुद्रा व्यापार सहित अन्य आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। देश के बहादुर जवान सीमाओं की रक्षा करते हुए अपनी
जान की परवाह कीए बगैर इन मवेशियों को बचाते है। लेकिन बीएसएफ उच्च पदाधिकारी इस कार्य को लेकर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। जवानों जिन मवेशियों को बचाया जाता है। सीमा चौकी पर उच्च पदाधिकारी कार्यालय से इन मवेशियों के चारे – पानी की कोई व्यवस्था न होने से वहीं दम तोड़ रहे हैं। इन जवानों की कड़ी
मेहनत की सराहना करना तो दूर, उच्च अधिकारी को इन मवेशियों की दयनीय हालत पर भी तरस नहीं आता। हफ़्तों तक खाना न मिलने के कारण बछड़ों की आंतें तक बाहर आ जाती हैं। इसके बाद भी बीएसएफ के उच्च पदाधिकारी कार्यालय से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।