विरल प्रतिभा के धनी जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. निखिलचंद्र दास
आसनसोल । अक्सर जिम्मेदारियों के बोझ तले इंसान की प्रतिभा छिप जाती है। लेकिन विरल होते हैं वह लोग जो अपनी जिम्मेदारियों को बेहद अच्छे तरीके से पूरा करते हुए भी अपनी प्रतिभा को जिंदा रखते है। आसनसोल जिला अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. निखिलचंद्र दास वैसे ही एक इंसान हैं। डॉ. निखिल चंद्र दास बीते कई वर्षों से आसनसोल जिला अस्पताल जो कि अब सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में तब्दील हो चुका है। इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी बतौर सुपरिटेंडेंट संभाल रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में आसनसोल जिला अस्पताल का जो कायाकल्प हुआ है, उसमें डॉ.निखिलचंद्र दास के कुशल नेतृत्व का एक अहम योगदान है। इसके अलावा डॉ. दास खुद भी एक मंझे हुए चिकित्सक हैं। लेकिन यह डॉ. निखिलचंद्र दास के व्यक्तित्व का एक हिस्सा है। दूसरा हिस्सा इससे संपूर्ण अलग है। डॉ. निखिलचंद्र दास के व्यक्तित्व के दूसरे हिस्से में हमें एक साहित्यकार का पता चलता है, जी हां डॉ. दास सिर्फ एक उच्च कोटी के चिकित्सक ही नहीं हैं, बल्कि एक उच्च स्तरीय साहित्यकार भी हैं। सृजन क्षमता को सामने लाते हुए हाल ही में उन्होंने एक पुस्तक लिखी है। 80 कविताओं के संग्रह का नाम है अंकुरोद्गमेर गान। इस कविता संग्रह की सभी कविताएं मानवी भावनाओं से परिपूर्ण है। इनकी इन कविताओं के जरिए एक चिकित्सक के अंदर के साहित्यकार के बारे में हमें पता चलता है जो जीवन और इस विश्व के बारे में एक अलग ही नजरिया रखता है जो नजरिया मानवता से लबरेज है। इस दुनिया में और समाज में जो भी बुराइयां हैं। डॉ. निखिल चंद्र दास ने अपनी इन कविताओं के जरिए उन बुराइयों पर कुठाराघात किया है और साहित्यकार के कलम के जरिए शब्दों के द्वारा उन बुराइयों का विरोध किया है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कविताओं के जरिए एक नई भविष्य की कल्पना भी की है जो भविष्य आज से कहीं बेहतर होगा सुनहरा होगा।
डॉ. निखिलचंद्र दास का जन्म बेनोडीही जामबाद कोलियरी इलाके में वर्ष 1967 में हुआ था। स्थानीय बहुला शशि स्मृति उच्च विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत उन्होंने बीबी कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके उपरांत कोलकाता के आरजी कर से उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ कोलकाता से उन्होंने पोस्टग्रेजुएट मेडिकल डिप्लोमा डीपीएच की पढ़ाई पूरी की। वर्तमान में वह आसनसोल जिला अस्पताल में सुपरिटेंडेंट का पदभार संभाले हुए हैं। लेकिन इससे पहले उन्होंने कई सरकारी अस्पतालों में महत्वपूर्ण पद संभाले हैं। इसके साथ ही साथ पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में वह नियमित रूप से साहित्य चर्चा भी करते रहे हैं।