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‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के एक भाग के रूप में आसनसोल मंडल ने चंद्रशेखर आज़ाद और बाल गंगाधर तिलक की जयंती मनाई

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आसनसोल । भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में “आजादी का अमृत महोत्सव” के आयोजन के एक भाग के रूप में, पूर्व रेलवे के आसनसोल मंडल ने सोमवार मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय, आसनसोल के प्रांगण में चंद्रशेखर आजाद और बाल गंगाधर तिलक की जयंती को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया। इस मौके पर आसनसोल मंडल रेल प्रबंधक परमानंद शर्मा ने चंद्रशेखर आजाद और बाल गंगाधर तिलक के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। मौके पर अपर मंडल रेल प्रबंधक- 1 एमके मीणा, अपर मंडल रेल प्रबंधक-2 बीके त्रिपाठी तथा शाखा अधिकारियों और मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के कर्मचारियों ने भी चंद्रशेखर आजाद और बाल गंगाधर तिलक के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। आजादी की लड़रइ्र में चंद्रशेखर आजाद ने युवाओं को प्रेरित किया और औपनिवेशिक शासन से भारत की आजादी वापस छीनने में योगदान दिया। उन्होंने देशवासियों को देश के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। चंद्रशेखर आजाद सिर्फ 15 वर्ष के थे जब उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में भाग लिया। बाद में वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए, जिसे उन्होंने कुछ साल बाद हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में बदल दिया। वे भगत सिंह के बेहद करीबी सहयोगी रहे। वे 1925 में काकोरी षडयंत्र के बाद सुर्खियों में आए, जिसे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन द्वारा आयोजित किया गया था। बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक और एक स्वतंत्रता सेनानी थे। वह लाल बाल पाल की तिकड़ी में से एक थे। ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों ने उन्हें “भारतीय अशांति का जनक” कहा। उन्हें “लोकमान्य” की उपाधि से भी सम्मानित किया गया, जिसका अर्थ है “लोगों द्वारा उनके नेता के रूप में स्वीकार किया गया”। महात्मा गांधी ने उन्हें “आधुनिक भारत का निर्माता” कहा। तिलक स्वराज (स्व-शासन) के पहले और सबसे मजबूत पैरोकारों में से एक थे और भारतीय चेतना में एक मजबूत कट्टरपंथी थे।

 

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