जिनके तन सुंदर होते हैं, लेकिन मन में सुंदरता नहीं होती, भगवान उनको देखना तक पसंद नहीं करते – अनिरुद्ध जी महाराज
आसनसोल। आसनसोल के सेनरेले स्थित कन्यापुर हाई स्कूल के समक्ष मैदान में सप्तहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानभक्ति महायज्ञ श्री श्याम सुंदर दास जी महाराज के तत्वावधान में एवं ननी गोपाल मंडल, शांतारानी मंडल, जयदेव मंडल, सुकदेव मंडल, बुद्धदेव मंडल सहित पूरा मंडल परिवार की ओर से शुभारंभ हुआ। वृंदावन से श्रद्धेय अनिरुद्ध जी महाराज भागवत कथा पाठ कर रहे हैं। सोमवार इसका पांचवा दिन था। पांचवे दिन भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु और उनके भक्त श्रीमद्भागवत पाठ का श्रवण करने मैदान में पहुंचे। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने उपस्थित भक्त मंडली के सामने श्रीमद् भागवत गीता को अपने मुखारविंद से भक्त मंडली को कहा कि हम सब समझते हैं कि हम किसी न किसी जिम्मेदारी से बंधे हुए हैं। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। हम खुद को जिम्मेदारियों से बंधा हुआ महसूस करते हैं। लेकिन जब ईश्वर का बुलावा आएगा तो हमें इस नश्वर पृथ्वी को छोड़ कर जाना होगा और उसके बाद भी आज हम खुद को जिम्मेदारियों से बंधा हुआ महसूस करते हैं।
वह सारे कार्य अपनी गति से होते रहेंगे। लेकिन हम खुद को जिम्मेदारियों से बंधा हुआ महसूस करते हुए अपने ऊपर बेवजह दबाव बना लेते हैं। उन्होंने कहा कि भावनात्मक तरीके से परिपक्व व्यक्ति कभी शौक में विह्वल नहीं होता। क्योंकि उसको पता है कि मृत्यु ही इस पृथ्वी का एकमात्र सत्य है जो इस धरती पर आया है। उसे एक न एक दिन जाना ही होगा। इसीलिए वह अपने करीबियों की मृत्यु पर भी शोकातुर नहीं होता। अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज ने कहा कि आज जो भी लोग शौक में हैं। वह सिर्फ इसलिए क्योंकि उनको ज्ञान नहीं है, जिस दिन ज्ञान की रोशनी अज्ञानता को दूर करेगी लोगों का रोना धोना सब समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अपनी अज्ञानता में हम उन चीजों पर अपना अधिकार समझते हैं जो हमारे हैं ही नहीं। लेकिन ईश्वर जो कि हमारे है। हम उन पर अपना अधिकार नहीं जताते है। उनके बारे में कभी नहीं कहते कि ईश्वर मेरे है। यही सभी दुखों का कारण है। उन्होंने उपस्थित भक्त मंडली से कहा कि जीवन और यह शरीर नश्वर है इसीलिए इसको सुंदर बनाने में समय व्यर्थ न करे। अगर सुंदर बनाना है तो मन को सुंदर बनाएं। पूतना भी सुंदर बन के आई लेकिन भगवान ने अपनी आंखें बंद कर ली। जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिनके तन सुंदर होते हैं, लेकिन मन में सुंदरता नहीं होती भगवान उनको देखना तक पसंद नहीं करते है।