गंधर्व कला संगम का 30 मई को रवींद्र – नजरूल संध्या का आयोजन
आसनसोल । रानीगंज के नारायणकुरी स्थित मथुरा चंडी मंदिर के पास गंधर्व कला संगम की ओर से आगामी 30 मई को रवींद्र – नजरूल संध्या का आयोजन किया गया है। उक्त बात की जानकारी शुक्रवार आश्रम मोड़ स्थित पार्वती होटल के सभागार में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सचिन राय ने कहा कि गंधर्व कला संगम बीते 20 सालों से शाश्वती चटर्जी के नेतृत्व में शिल्पांचल में संस्कृति के विकास के लिए प्रयास कर रही है। आगामी 30 मई को रानीगंज के नारायणकुड़ी स्थित मथुरा चंडी मंदिर के पास रवींद्र नजरुल संध्या आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रानीगंज का नारायणकुड़ी ऐतिहासिक धरोहर है। यहां सबसे पहले कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के पितामह प्रिंस द्वारकानाथ ठाकुर कोयला खदान की स्थापना की थी। यह जगह इतिहास से जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि शाश्वती चटर्जी द्वारा 30 मई को रवींद्र नजरुल संध्या के आयोजन के लिए इस जगह को चुना गया है। वहीं शाश्वती चटर्जी ने बताया कि वह 2002 से उस क्षेत्र में संस्कृति के विकास के लिए प्रयास कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वह एक क्लासिकल नृत्यांगना है। पहले वह स्कूल में बच्चों को नृत्य की शिक्षा देती थी। उन्होंने बताया कि वह 2002 से वहां पर रवींद्र संध्या का आयोजन कर रही थी। पहले 3 से 4 साल से रवींद्र नाथ टैगोर की रचनाओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते थे। लेकिन उसके बाद इस आयोजन में काजी नज़रुल इस्लाम की साहित्यिक रचनाओं को भी जोड़ा गया और इस तरह से रवींद्र नजरुल संध्या का आयोजन होने लगा। उन्होंने बताया कि 2 साल कोरोना के कारण और पिछले साल भी यह आयोजन बंद था। लेकिन इस साल वह इसको बड़े पैमाने पर करना चाहती हैं। ताकि लोगों को उस क्षेत्र के महत्व के बारे में जानकारी मिले। मौके पर गौरीशंकर अग्रवाल, जगदीश बागड़ी, संतोष दत्ता, मनोज साहा मुख्य रूप से उपस्थित थे।