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गैर बांग्ला भाषियों के बीच ईश्वर चंद्र विद्यासागर रचित वर्ण परिचय पुस्तक का किया गया वितरण

कोलकाता । कोलकाता के रानू छाया मंच से रविवार वेस्ट बंगाल लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी एसोसिएशन की ओर से ईश्वर चंद्र विद्यासागर रचित वर्ण परिचय पुस्तक वितरण कार्य शुरू किया गया। इस दौरान 10 हजार वर्ण परिचय की पुस्तकें वितरण की जाएगी। मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा आसनसोल के पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी ने कहा कि राज्य सरकार ने बीते 15 मार्च को अधिसूचना जारी कर सिविल सर्विस एग्जीक्यूटिव के नियुक्ति परीक्षा में भाषा पेपर से हिंदी उर्दू और संथाली भाषा के विकल्प को हटा दिया। इस कारण इन परीक्षाओं में बांग्ला भाषा में उत्तीर्ण करना अनिवार्य हो गया है। लेकिन विडंबना यह है कि राज्य सरकार के स्तर से संचालित गैर बांग्ला भाषा माध्यम के स्कूलों में बांग्ला भाषा की पढ़ाई अनिवार्य विषय के रूप में नहीं होती है। यानी बांग्ला माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के लिए सरकारी नौकरी पाने का मार्ग प्रतिबंधित कर दिया गया है। वेस्ट बंगाल लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी एसोसिएशन ने राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ लगातार राज्यव्यापी अभियान चला रखा है। एसोसिएशन की मांग है कि सबसे पहले सभी गैर बांग्ला माध्यम के स्कूलों में बांग्ला की पढ़ाई माध्यमिक स्तर तक अनिवार्य विषय के रूप में कराई जाए। इसके बाद ही बांग्ला भाषा की अनिवार्यता को लागू किया जाए। तब तक राज्य सरकार को इस अधिसूचना को लंबित रखा जाए। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने सभी गैर बांग्ला माध्यम के स्कूलों में माध्यमिक स्तर तक बांग्ला को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बंगाल में रहने वाला गैर बांग्ला भाषी बांग्ला सीखना चाहता है। यह लोग बांग्ला भाषा से प्यार करता है। तथा बांग्ला भाषा सीखने से उसे व्यक्तिगत जीवन में कैरियर के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी काफी मदद मिलेगी। वह बंगाल की मिट्टी के संस्कृति को आत्मसात कर पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में भाषाई पैटर्न लागू कर राज्य सरकार ने गैर बांग्ला भाषा के माध्यम के छात्र छात्राओं को बांग्ला भाषा सिखाने से वंचित कर रखा है। यह राज्य सरकार का दायित्व है कि यदि वह नौकरियों में बांग्ला भाषा अनिवार्य करती है तो इसके साथ ही सभी सरकारी स्कूलों में बांग्ला की पढ़ाई की व्यवस्था की गारंटी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन की मांग है कि सभी माध्यम के सरकारी स्कूलों में बांग्ला भाषा की पढ़ाई अनिवार्य करना होगा। साथी बांग्ला भाषा पढ़ाने के लिए स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति को अनिवार्य रूप से करनी होगी। इससे कम से कम 10000 बांग्ला भाषी युवक-युवतियों को नियुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने कहा था कि विद्या होने से ही सबसे बड़ी संपत्ति होती है। विद्या सिर्फ किसी समाज के व्यक्तिगत विकास में ही मददगार नहीं होती। बल्कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूरे समाज के कल्याण का साधन बनती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने वर्ण परिचय पुस्तक की रचना की थी। एसोसिएशन ने निर्णय लिया है यह गैर बांग्ला भाषियों के बीच बांग्ला में लिखी पुस्तक वर्ण परिचय का वितरण किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट होगा कि अगर बांग्ला भाषी अपने स्तर से भी बांग्ला पढ़ने लिखने और बोलने के आकांक्षी हैं। उन्होंने कहा कि मंच से लगभग 10000 पुस्तकों का वितरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार पर दबाव बनाए रखने के लिए जन जागरण अभियान सेमिनार तथा हाईकोर्ट में लोकहित याचिका दायर करने का अभियान जारी रहेगा। इस मौके पर कर्नल आरके श्रीवास्तव, सगन त्रिवेदी, सुभास झा, अनिल कपूर, बृजलाल परमार, मुकुल तिवारी, प्रमोद सिंह, शैलेश पांडेय, विजय शर्मा सहित अन्य मौजूद थे।
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