पति -पत्नी आपस में प्रायः झूठ बोलते हैं, जिससे प्रायः आपस में झगड़ा होता है – राम मोहन जी महाराज
आसनसोल । आसनसोल के जीटी रोड स्थित बड़ा पोस्ट ऑफिस के पास महावीर स्थान मंदिर परिसर में 9 दिवसीय श्री राम कथा प्रवचन का आयोजन किया गया है। कथा व्यास श्रीश्री राम मोहन जी महाराज श्री राम कथा प्रवचन में कथा पाठ करे रहे है। यह पाठ रोजाना शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक चलता है। राम कथा में तीसरे दिन राम मोहन जी महाराज ने शिव एवं सती की कथा सुनाये। शिव विवाह प्रसंग पर कहा हुई। शिवजी एक बार हिमालय पर्वत पर बैठे हुए थे। उस समय रामजी का वनवास हुआ था। शिव राम नाम का जाप कर रहे थे। सती को शिवजी से ने कहा था राम हमारे गुरु हैं। सती ने कहा देख रही हो सीता हरण के बाद राम जी सीता के खोज में वन वन भटक रहे हैं। पेड़, वृक्ष प्राणी सबसे पूछ रहे हैं। उसके वियोग में पागल हो गए हैं। सती ने शिवजी से कहा यह तुम्हारे गुरु हैं, जो पत्नी के लिए वियोग में विलाप कर रहे हैं। यह अगर भगवान है तो उनकी पत्नी का हरण कैसे होगा। शिवजी ने सती से कहा कि जाकर परीक्षा ले लो। उन्होंने कहा कि परीक्षा की जरूरत नहीं है। किंतु औरतों के मन में बात पचती नहीं है। सती रामजी की परीक्षा लेने चुपके से निकल पड़ी। सती सीता मां का भेष बनाकर जंगल में एक वृक्ष के नीचे बैठ गई। उधर से राम जी विलाप करते हुए आ रहे थे। उन्होंने सीता रूपी पार्वती को देखते ही रामजी ने कहा माता अकेली वन में कहां भटक रही हो। भोले बाबा कहां गए। सती मन ही मन में घबराई। वहां से हिमालय की ओर भागने लगी। सती माता को एक दृश्य दिखाई दिया। पूरे रास्ते में राम सीता की जोड़ी खड़ी नजर आई। इस प्रकार मां सती भागती हुई शिवजी की पास पहुंची। शिव जी ने पूछा कहां गई थी। रामजी की परीक्षा लेने गई थी। सती मां ने सफेद झूठ बोल दिया। भोले बाबा ने ध्यान लगाकर देखा। परीक्षा लेने गई सती को शिवजी ने माता सीता के रूप में देखकर शिवजी ने सती को मन ही मन त्याग दिया। कारण यह है कि पत्नी का रूप धारण कर लिए तो यह गुरु मां हो गई। मां को पत्नी के रूप में कैसे स्वीकार किया जा सकता है। शिव भगवान 88 हजार वर्ष के लिए समाधि में चले गए। इसका सारांश यह है कि घर-घर में पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता है। इसका मुख्य कारण झूठ बोलना है। पति-पत्नी आपस में प्रायः झूठ बोलते हैं। इसे लेकर आपस में झगड़ा हो जाता है। इस मौके पर दूसरे दिन मुख्य जजमान स्वर्गीय घासीराम के सुपुत्र अरुण अग्रवाल, बालाजी ज्वेलर्स के मालिक प्रभात अग्रवाल, दिनेश लडसरिया, प्रदीप केशरी, महेश अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, रजनय साहा, बालकृष्ण मुरारका, अंजय अग्रवाल, स्मिता शर्मा, प्रभा शर्मा, संजय शर्मा, बजरंग शर्मा, राजू प्रसाद ने आरती और पूजा किया। मौके मुख्य रूप से जगदीश केडिया, अरुण शर्मा, सावरमल अग्रवाल, बंसीलाल डालमिया, प्रकाश अग्रवाल, शिव प्रसाद बर्मन, अरुण बरनवाल, सुरेंद्र केडिया, प्रेम गुप्ता, प्रेमचंद केसरी, विनोद केडिया, विकास केडिया, वासुदेव शर्मा, महेश शर्मा, सज्जन भूत, मुन्ना शर्मा, मुकेश शर्मा, विमल जालान, आनंद पारीक, अभिषेक केडिया, मनीष भगत, अभिषेक बर्मन, राजू शर्मा, संजय शर्मा, मुंशीलाल शर्मा, प्रकाश अग्रवाल, अक्षय शर्मा, अजीत शर्मा, राजकुमार केरवाल, निरंजन पंडित, जगदीश पंडित, श्याम पंडित, विद्यार्थी पंडित, बजरंग शर्मा, रौनक जालान, दीपक गुप्ता, आशीष भगत सहित सैकड़ों गण्यमान्य श्रद्धालु शामिल थे।