अग्नि का काम जलाना है, वैसे ही सत्संग का काम पाप रूपी पहाड़ को जलाना – राम मोहन जी महाराज
आसनसोल । जीटी रोड बड़ा पोस्ट ऑफिस के पास महावीर स्थान मंदिर में महावीर स्थान सेवा समिति की ओर से आयोजित 9 दिवसीय रामकथा प्रवचन के आठवें दिन श्री राम मोहन जी महाराज ने राम भरत मिलन, शबरी मिलन, नवधा में भक्ति, राम हनुमान मिलन, सीता हरण, खर दूषण वध, सूपनेखा का नाक काटन प्रसंग पर कथा सुनाए। श्री राम मोहन जी महाराज ने कथा के दौरान गंगा तीर्थ का क्या अर्थ होता है। उसके बारे में सरलता से श्रद्धालुओं को बताएं। गंगा स्नान करने से पाप धुलता है। गंगा नहाने से अगर पाप धुलता तो सभी पक्षी पशु मनुष्य को मोक्ष मिलता। इस संबंध उन्होंने एक कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि एक महात्मा जी के यहां एक सेठ जी आए। उन्होंने कहा कि मुझे साक्षात मोक्ष की प्राप्ति हो होगी। मैं मरने के बाद सीधे स्वर्ग में जाऊंगा। महात्मा जी ने सेठ से कहा ऐसा तुमने क्या कर दिया जो तुम्हें सीधे मोक्ष मिल गया सेठ ने कहा 7 दिनों से रोजाना गंगा स्नान कर रहा हूं। तब महात्मा जी ने कहा एक कम करो गंगा शास्त्र में लिखा है गंगा के दर्शन से ही मोक्ष मिल जाता है। किसको मिलता है सबको मिलता है क्या ? सेठ जी ने पूछा मोक्ष कैसे मिलता है। महात्मा जी ने एक कांच की सीसी सेठ को दी और कहा इसका ढक्कन खोलकर पास के नाले से इसमें गंदे पानी भरकर लाना। सीसी में उसे गंदे पानी को भरकर सेठ जी महात्मा जी के पास पहुंचे। महात्मा जी ने सेठ से पूछा कि यहां कितने दिन रुकने का विचार है। सेठ ने कहा 7 दिन रुकने का विचार है। वहीं महात्मा जी ने कहा इस सीसी को गंगा में रोज स्नान करनाउसके बाद मेरे पास आना तब मैं बताऊंगा कि मोक्ष कैसे मिलता है सेठ जी 7 दिन गंगा में खुद को स्नान करने जाते समय सीसी को भी स्नान कराते थे। 7 दिन के बाद सेठ जी जब महात्मा जी के पास पहुंचे। तब महात्मा जी ने सेठ से पूछा सीसी को रोज ठीक से नहलाते थे। तो अब इसका ढक्कन खोलो। इस जल को पी जाओ। सेठ ने महात्मा जी को कहा यह गंदे नाले की पानी है इस जल को पी जाऊं सेठ जी ने महात्मा को कहा यह गंदे नाले की पानी पी जाऊं मैं पागल हूं। क्या तब महात्मा जी ने सेठ से कहा इसकी 7 दिन गंगा में स्नान कराया। मेला पानी शुद्ध क्यों नहीं हुआ। जिस तरह मैला पानी शुद्ध नहीं हुआ। गंगा स्नान के बाद इस तरह मन के मैला को सत्संग रूपी ढक्कन से नहीं खोलेंगे तब तक मोक्ष प्राप्ति नहीं होगी। गंगा स्नान से अनजान में किए हुए पाप धूलते हैं। जानबूझकर किए हुए पाप गंगा स्नान से नहीं धूलते हैं। उसके लिए सत्संग में आना होता है। अग्नि का काम जलाना है, वैसे ही सत्संग का काम पाप रूपी पहाड़ को जलाना है। जैसे नारद, प्रहलाद, ध्रुव इन लोगों ने तप किया। उनका उद्धार हुआ। वैसे ही कंस, रावण कौरव, शिशुपाल इनका भी उद्धार हुआ। यही सत्संग की महानता है। इस मौके पर शिवानंद मिश्र(दिल्ली), उपेंद्र पाठक(हरियाणा), ओम प्रकाश तिवारी, शुभ नारायण बर्नवाल, संजय पटवारी, मनोहर त्रिवेदी, आशा देवी, बजरंग अग्रवाल, कुंवर यादव, प्रकाश अग्रवाल ने पूजा व आरती किया। मौके पर जगदीश प्रसाद केडिया, अरुण शर्मा, बालाजी ज्वेलर्स के मालिक प्रभात अग्रवाल, संजय शर्मा, दिनेश लडसरिया, बजरंग लाल शर्मा, अमर भगत, अनिल सहल, जितेंद्र बर्नवाल, सावरमल अग्रवाल, बंसीलाल डालमिया, संजय अग्रवाल, प्रकाश अग्रवाल, शिव प्रसाद बर्मन, अरुण बर्नवाल, सुरेंद्र केडिया, प्रेमचंद केसरी, संजय शर्मा, विनोद केडिया, विकास केडिया, वासुदेव शर्मा, महेश शर्मा, सज्जन भूत, मुकेश शर्मा, मनीष भगत, अभिषेक बर्मन, राजू शर्मा, मुंशीलाल शर्मा, प्रकाश अग्रवाल, अक्षय शर्मा, अजीत शर्मा, राजकुमार केरवाल, निरंजन पंडित, जगदीश पंडित, श्याम पंडित, विद्यार्थी पंडित, बजरंग शर्मा, रौनक जालान, दीपक गुप्ता सहित सैकड़ों गण्यमान्य श्रद्धालु शामिल थे।