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कोलियरी क्षेत्र की राजनीति में लाला की जमानत पर हो रही है चर्चा

रानीगंज । कोयला चोरी मामले में मुख्य आरोपी होने के बावजूद अनूप माजी उर्फ ​​लाला को जमानत पर रिहा किया गया है। तृणमूल का दावा है कि लाला की जमानत कोयला माफिया के साथ भाजपा के करीबी संबंधों को साबित करती है। भाजपा नेतृत्व ने पलटवार करते हुए कहा कि कोयला चोरी की जांच सीबीआई कर रही है। भाजपा इस लेनदेन में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने वाली पहली सरकार थी। अपराधियों को सजा मिलेगी। लाला ने मंगलवार सुबह आसनसोल की विशेष सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें तीन साल तक सुप्रीम कोर्ट का ‘संरक्षण’ मिला हुआ है। न्यायाधीश राजेश चक्रवर्ती ने उन्हें जमानत दे दी। निर्देश में जज की टिप्पणी में कहा गया है कि सीबीआई ने लाला की ‘सुरक्षा’ के लिए उचित कदम नहीं उठाए। इसलिए आरोपी को जमानत दे दी गई है। इससे पहले कोर्ट कोयला चोरी मामले में मुख्य आरोपी होने के बावजूद लाला के प्रति सीबीआई की उदासीनता पर नाराजगी जाहिर करता नजर आया। कोयला तस्करी मामले में मुख्य आरोपी को जमानत मिलने के लिए तृणमूल समेत विभिन्न पार्टियां सीधे तौर पर बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। तृणमूल ने दावा किया कि अवैध कोयला कारोबार का एक आरोपी हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह का स्वागत करने के लिए अंडाल हवाई अड्डे पर दिखाई दिया था। पार्टी के जिला अध्यक्ष नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने दावा किया, ”यह कोई संयोग नहीं है। देश के गृह मंत्री से अवैध कोयला कारोबारी की मुलाकात यह साबित करती है कि कोयला माफिया का भाजपा से अच्छा रिश्ता है। ईडी और सीबीआई बीजेपी की बात मानती हैं। नतीजतन, यह स्वाभाविक है कि सीबीआई लाला के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करेगी।” सीपीएम नेता पार्थ मुखर्जी ने फिर दावा किया, ”लाला ने प्रमोशन के बदले में बीजेपी और तृणमूल दोनों पार्टियों के हितों की रक्षा की। नतीजतन, राज्य या केंद्र सरकार में से कोई भी लाला को दंडित नहीं करना चाहता। इसलिए उन्हें जमानत मिल गई।” भाजपा द्वारा सिखाए गए गुंडों को तोते की तरह पेश कर रही है सी.बी.आई. यह सोचने का कोई कारण नहीं है कि जब गृह मंत्री स्वयं कोयला माफिया के हाथ से कमल लेते है तो लाला को दंडित किया जाएगा। भाजपा जिला अध्यक्ष बप्पा चट्टोपाध्याय ने प्रतिवाद करते हुए कहा कि पूरे पश्चिमी क्षेत्र में अवैध कोयला व्यापार का बोलबाला कोई नई बात नहीं है। आसनसोल-रानीगंज, पुरुलिया, बांकुड़ा, बीरभूम के विशाल क्षेत्रों में अवैध कोयला उत्खनन और तस्करी की शुरुआत वामपंथी काल में हुई। वर्ष 2011 में राज्य परिवर्तन के बाद यह कारोबार तृणमूल के समर्थन से चलता रहा। नये सिंडिकेट बनते हैं। उनके शब्दों में, “लाला उस व्यवसाय के मुखिया थे। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने ही अवैध कोयला कारोबार को रोकने की पहल की थी। भाजपा शासनकाल में पहली बार कोयला माफियाओं के खिलाफ सीबीआई ने कानूनी कार्रवाई की। कोयला चोरों को जेल भेज दिया गया है।” पहले कभी किसी राजनीतिक पार्टी ने ऐसा नहीं किया। उनकी बातों से भ्रमित होने का कोई कारण नहीं है।
 
 
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