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प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सावधानी से करना चाहिए क्योंकि वे सीमित है – सुरेन जालान

आसनसोल । ठंड के मौसम में गरीब आम जनता को ठंड से बचने के लिए बड़े-बड़े हाजी साहब लोग, बड़ी-बड़ी संस्था द्वारा एवं बड़े-बड़े राजनेताओं द्वारा कंबल बांटते हुए तो देखा होगा एवं कुछ सरकार द्वारा भी ठंड के समय में लोगों के लिए सूखी लकड़ी की व्यवस्था रात में आग तापने के लिए की जाती है। परंतु अब हमें ग्लोबल वार्मिंग जिसकी मार भारतवर्ष के कई राज्यों एवं शहरों को झेलनी पड़ रही है। जलवायु परिवर्तन दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या है। उक्त बाते राष्ट्र प्रेमी सुरेन जालान ने कही। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। यदि हम इसे यथाशीघ्र नहीं रोक सके, तो हमारी दुनिया को अवांछनीय परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि समय के साथ पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में सतत वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। ऐसा कहा गया है कि विभिन्न कारणों से मनुष्यों द्वारा बड़े पैमाने पर वनों की कटाई इसके लिए जिम्मेदार है। हर साल, हम बहुत अधिक ईंधन का उपयोग करते हैं। मानव जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों की ईंधन जरूरतों को पूरा करना असंभव होता जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सावधानी से करना चाहिए क्योंकि वे सीमित हैं। यदि मनुष्य वनों और अन्य खनिज संपदा का अत्यधिक उपयोग करेगा तो परिस्थिति की तंत्र असंतुलित हो जायेगी। आज हमारे शहर आसनसोल(पश्चिम बंगाल) में भी ग्लोबल वार्मिंग ने लोगों के पसीने छुड़ा दिये। इस पर हम सभी लोगों द्वारा, सभी संस्थाओं द्वारा, समाज एवं सभी पार्टी के नेताओं द्वारा जन-जन‌ तक यह संदेश पहुंचाना चाहिए कि कैसे बढ़ते हुए ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण किया जाय एवं ग्लोबल वार्मिंग से कैसे पीड़ित लोगों की सहायता की जाय।
   
 
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