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ऐसे ही नहीं बनते युग पुरुष ! कृष्णा प्रसाद ने रच दिया इतिहास

आसनसोल। 27 बसों, 40 चारपहिया वाहनों से 2000 लोगों को निःशुल्क प्रयागराज महाकुंभ का अमृत स्नान कराकर सकुशल वापस लौटे शिल्पांचल के विशिष्ट समाजसेवी, व्यवसायी सह धार्मिक प्रवृति के धनी कृष्णा प्रसाद को उनकी सेवामूलक उपलब्धि ने ऐसी श्रेणी में ला खड़ा किया है। ऐसे में उन्हें आक्रांताओं से भरे इतिहास को पलट कर शिल्पांचल में एक नए युग की शुरुआत करने वाले के रूप में याद किया जाएगा। 22 फरवरी को आसनसोल के विख्यात मां घाघरबुढ़ी मंदिर से 2000 लोगों को प्रयागराज ले जाना और सकुशल वापल लाने जैसा उदाहरण आने वाली सदियों में कहीं नहीं मिलेगा। यह महज संयोग ही नहीं है। यह इत्तिफाक भी नहीं था। यह कृष्णा प्रसाद का दृढ़ संकल्प है।
यह कोई नहीं जानता कि अगले पल क्या होगा। कौन क्या देख पायेगा और क्या नहीं। इस बार का महाकुंभ का आयोजन भी ऐसा ही ऐतिहासिक अवसर है जो 144 वर्षों बाद आया है। 144 वर्षों में हमारी कई पीढ़ियां गुजर जायेंगी लेकिन हमारे जीवन काल में ही यह ऐतिहासिक अवसर उपस्थित हुआ है। ऐसे में अपनी तरफ से 2000 लोगों को निःशुल्क महाकुंभ ले जाकर उन्हें पवित्र स्नान कराना अपने आप में बहुत बड़ी बात ही नहीं बल्कि महान कार्य है। कृष्णा प्रसाद ने यह करके एक इतिहास रच दिया है जिसे आने वाले समय में भी याद किया जायेगा और उनकी प्रशंसा की जायेगी। उन्होंने और भी बहुत सारे कार्य किये हैं और उन्हें भी ऐतिहासिक कहा जाता है। कल्ला में छठ पूजा का भव्य आयोजन उन्होंने ही शुरू किया है। ऐसा आयोजन इससे पहले न तो किसी ने किया है और न कोई दूसरा कर पायेगा। ऐसे कार्यों में इतिहास रचने वाले कृष्णा प्रसाद इतिहास पुरुष के साथ ही युग पुरुष भी बन गये हैं। गौरतलब है कि शिल्पांचल के विशिष्ट समाजसेवी, व्यवसायी सह धार्मिक प्रवृति के धनी कृष्णा प्रसाद के सौजन्य से निःशुल्क प्रयागराज महाकुंभ स्नान के लिए शिल्पांचल के लगभग 2000 पूर्णार्थियों का दल 22 फरवरी को मां घाघर बुढ़ी मंदिर से बस एवं चार पहिया वाहनों से रवाना हुआ। कृष्णा प्रसाद ने खुद झंडा दिखाकर 27 बसों एवं 40 चार पहिया वाहनों को रवाना किया। इसके पूर्व मंदिर परिसर में तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। 22 फरवरी को सुबह से भजन कीर्तन और मां घाघर बुढ़ी की पूजा अर्चना की गई। सभी पूर्णार्थियों को पूजा अर्चना के बाद प्रसाद के रूप में भोग कराया गया। जिसके बाद क्रम बद्ध तरीका से बस में चढ़ा कर रवाना किया गया। पूर्णार्थियों ने बताया कि रास्ते में किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हुई। रास्ते भर भजन कीर्तन के साथ हंसी खुशी गए। नाश्ता, खाना में कोई कमी नहीं हुई। स्नान भी बहुत अच्छे से किए। मेडिकल एवं सुरक्षा की समुचित व्यवस्था थी। कृष्णा प्रसाद के कारण पुण्य अमृत स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनका यह उपकार जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे।

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