आईएसपी के ठेका कर्मियों के वेतन वृद्दि के मुद्दे को लेकर मुखर हुए ट्रेड यूनियन
राज्य सरकार, श्रम मंत्री को पत्र देकर स्टील इंडस्ट्री के लिए अलग वेज बनाने की मांग
बर्नपुर(भरत पासवान) । सेल के विभिन्न प्लांट की तरह आईएसपी के ठेका कर्मियों को समान काम की तरह समान वेतन देने की मांग को लेकर आईएसपी में सक्रिय बीएमएस को छोड़कर 4 यूनियन की और से फिर एक बार आवाज बुलंद की गई है। आईएसपी में सक्रिय इंटक, सीटू, एटक और एचएमएस की और से पश्चिम बंगाल सरकार से स्टील इंडस्ट्रीज के लिए अलग वेज बनाने की मांग की गई है। इसे लेकर इन यूनियनों की और से राज्य सरकार, राज्य के श्रम मंत्री, सेंट्रल श्रमायुक्त, राज्य श्रमायुक्त, आईएसपी के डीआईसी आदि को आवेदन पत्र भेजा गया है। इसकी जानकारी इन चारों यूनियनों के प्रतिनिधियों ने इंटक कार्यालय में सवांददाता सम्मेलन कर जानकारी दी गयी। मौके पर इंटक के हरजीत सिंह, बिजय सिंह, अजय राय, सीटू के सौरेन चटर्जी, एचएमएस के मुमताज अहमद, सुशील झा, एटक के उतपल सिन्हा, आरएन सिंह मौजूद थे। हरजीत सिंह ने बताया कि आईएसपी में कार्यरत हजारों ठेका कर्मी हर क्षेत्र में स्थायी कर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उत्पादन में भूमिका निभाते है। लेकिन इन कर्मियों को न तो सम्मानजनक वेतन मिलती है और न ही अन्य सुविधाएं। यहां तक कि एक ही जिले में स्थित सेल के अन्य प्लांट (डीएसपी- एएसपी) के मुकाबले आईएसपी के ठेका कर्मियों का वेतन काफी कम है, कम से कम 5 से 6 हजार का फर्क है। जबकि इस मांग को लेकर कई बार हमलोगों ने आवाज बुलंद की है, लेकिन हमेशा यही सामने आता है कि जिस राज्य का जो मिनिमम वेज होगा, उसी वेज के अनुसार वेतन मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्टील इंडस्ट्रीज का वेज अलग होता है, लेकिन बंगाल में स्टील इंडस्ट्रीज का कोई अलग से वेज नहीं है। जिसे लेकर हमलोगों ने राज्य सरकार से मांग की है स्टील इंडस्ट्रीज का वेज लागू किया जाए। क्योंकि यहां कंस्ट्रक्शन लेबर का वेज लागू है और उसी आधार पर स्टील इंडस्ट्रीज के ठेका कर्मियों को वेज मिलता है, जो उचित नहीं। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि आईएसपी के ठेका कर्मियों को 26 दिन रोजगार, 8 घंटे काम, रात्रि भत्ता, क्वार्टर भत्ता आदि संग न्यून्तन वेतन मिले ताकि यहां के ठेका कर्मियों को भी उचित सम्मान और समान काम के तहत समान वेतन मिले।
उन्होंने कहा कि बहुत जल्द 4.5 मिलियन टन का प्रोजेक्ट आईएसपी में आ रहा है, हमारी मांग है कि इस प्रोजेक्ट में स्थानिय बेरोजगार युवकों को कार्य में प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि आईएसपी टाउन विभाग के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से कई क्वार्टर किराए पर चलाये जा रहे है, हम चाहते है कि उक्त क्वार्टरों को जब तक तोड़ा न जाये, तब तक उन क्वार्टर को ठेका कर्मियों को दे दिए जाएं, इससे अवैध कब्जा भी मुक्त होगा और ठेका कर्मियों को कुछ मदद मिलेगी। उन्होंने स्थायी कर्मियों के बकाया 39 माह का एरियर, एचआर का फैसला जल्द हो, इसपर भी चारों यूनियन जल्द बैठक कर रणनीति बनाएंगे। मौके पर सीटू नेता सोरेन चटर्जी ने इन्हीं मांगों को दोहराया। वहीं एटक नेता उत्पल सिन्हा ने आईएसपी के ठेका कर्मियों को सम्मानजनक वेतन देने की मांग करते हुए बीते दिनों स्थानीय पार्षदों द्वारा इसी मांग को लेकर आरएलसी को ज्ञापन सौंपे जाने के लिए साधुवाद जताया। साथ ही इस मांग को लेकर आगे की रणनीति एवं आंदोलन में आगे आने की अपील की। वहीं एचएमएस नेता मुमताज अहमद ने कहा कि प्रबंधन वर्षों से ठेका कर्मियों का शोषण कर रहा है। ठेका कर्मियों का वेतन वृद्धि का मुद्दा नया नहीं पुराना है, यह मांग कई बार पहले भी उठाई जा चुकी है। ठेका कर्मियों के वेज सहित अन्य मांगों को सुलझाने के लिए एनजेसीएस में अलग से कमेटी थी लेकिन यह आगे नहीं चल पाई। अंत में पहली बार अब इस मांग को लेकर राज्य सरकार को शामिल कर पत्र भेजा गया। आईएसपी में 3500 स्थाई कर्मी है जबकि ठेका कर्मियों की संख्या लगभग 15 हजार तक पहुंच गई है। ठेका कर्मियों की संख्या को बढ़ाया गया लेकिन प्रबंधन ने उनके वेज को नहीं बढ़ाया। इसलिए हमलोगों की मांग है कि स्टील इंडस्ट्री के ठेका कर्मियों के लिए अलग से वेज की व्यवस्था की जाए। साथ ही सभी यूनियन के प्रतिनिधियों ने मांगों पर जल्द पहल नहीं होने पर लगातार आंदोलन करने पर जोर दिया। – ट्रेड यूनियनों की निष्क्रियता के कारण वर्षों तक ठेका कर्मियों का हुआ शोषण बीते एक साल आईएसपी में स्थानीय बेरोजगारों को कम देने सहित वेतन वृद्धि की मांग को लेकर स्थानीय पार्षदों का एक प्रतिनिधिमंडल आंदोलन कर रहा है।
कुछ दिन पूर्व ही तृणमूल पार्षद अशोक रुद्र के नेतृत्व में 22 पार्षदों के एक प्रतिनिधि मंडल ने आईएसपी के ठेका कर्मियों के वेतनवृद्दि करने सहित अन्य मांग को लेकर आरएलसी को ज्ञापन सौंपा था। वहीं इस मुद्दे को लेकर पार्षद अशोक रुद्र से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि आईएसपी में सक्रिय ट्रेड यूनियनों की निष्क्रियता के कारण वर्षों से ठेका कर्मियों का शोषण चल रहा है। कोई सुनवाई नहीं होने पर ठेका कर्मियों ने ही हमलोगों से संपर्क कर पहल करने की गुहार लगाई थी। जबकि यह काम ट्रेड यूनियनों का है। उन्होंने कहा कि ठेका कर्मियों के वेतन वृद्धि सहित अन्य मांगों को लेकर ट्रेड यूनियनों के आंदोलन में शामिल होने का आमंत्रण मिलने पर सभी पार्षदों से चर्चा कर कोई कदम उठाया जायेगा।