बर्दवान । ईडी ने बर्दवान विश्वविद्यालय में करीब दो करोड़ रुपया के वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत प्रारंभिक जांच शुरू की है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बैंक और विश्वविद्यालय के अधिकारियों को पत्र भेजकर इस संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है। आरोप है कि विश्वविद्यालय की सावधि जमा (एफडी) के 1 करोड़ 93 लाख 89 हजार 876 रुपये समाप्ति तिथि से पहले निकाल लिए गए। इसे एक ठेकेदार के खाते में जमा कर दिया गया। पुलिस और सीआईडी के बाद इस बार ईडी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर जांच शुरू की है। विश्वविद्यालय के पूर्व संयुक्त रजिस्ट्रार देबमाल्या घोष ने इस भ्रष्टाचार की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने का अनुरोध करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग लंबे समय से विश्वविद्यालय से जुड़े हैं, उन्हें सीआईडी जांच पर भरोसा नहीं है। उनके शब्दों में, ‘इस घटना का मुख्य आरोपी भक्त मंडल (विश्वविद्यालय के वित्त विभाग में वरिष्ठ सहायक) है। उसे डेढ़ साल से भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। ऐसा क्यों? उसे पकड़ा नहीं गया, या पकड़ा ही नहीं गया?’ विश्वविद्यालय ने बर्दवान शहर के बड़ाबाजार इलाके में उस सरकारी बैंक में एक एफडी में कई करोड़ रुपये जमा किए थे। कथित तौर पर, 6 फरवरी, 2024 को विश्वविद्यालय की एफडी के लगभग दो करोड़ रुपये परिपक्वता तिथि से पहले निकाल लिए गए थे। जिसे एक ठेकेदार के खाते में जमा कर दिया गया था। बैंक ने विश्वविद्यालय से इस बारे में पूछताछ करने को कहा था। तब विश्वविद्यालय ने कहा था कि बैंक को ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया गया था! उसके बाद, बैंक ने बर्दवान पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। विश्वविद्यालय ने भी बर्दवान थाना में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के दौरान विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया। बाद में, सीआईडी ने जांच को अपने हाथ में ले लिया। उन्होंने एक चार्जशीट भी पेश की। इसमें भक्त मंडल समेत 10 लोगों के नाम हैं। भक्त अभी भी फरार है। सीआईडी सूत्रों के मुताबिक, चार्जशीट में सरकारी बैंक के तीन अधिकारियों के नाम भी हैं। कुछ दिन पहले ईडी के सहायक निदेशक मुकेश कुमार ने बर्दवान स्थित सरकारी बैंक के जोनल मैनेजर को पत्र लिखकर एफडी के बारे में जानकारी मांगी थी। बैंक सूत्रों के मुताबिक, ईडी दफ्तर में वहां के कुछ अधिकारियों से पूछताछ की गई। एजेंसी चार्जशीट में नामित तीनों अधिकारियों के व्यक्तिगत खाते की जानकारी भी जानना चाहती है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, तीनों अधिकारियों की 2021 से 2024 तक की चल-अचल संपत्ति की विस्तृत जानकारी मांगी गई है। ईडी ने यह भी डेटा जमा करने को कहा है कि उनके जीवनसाथी के नाम पर कितनी संपत्ति, जेवर आदि हैं। इसके अलावा, ईडी ने विश्वविद्यालय से यह भी पूछा है कि उस समय सरकारी बैंक की बर्दवान शहर में संबंधित शाखा के सर्किल प्रमुख और उप सर्किल प्रमुख कौन थे और क्या एफडी के पैसे निकालने के लिए उच्च अधिकारी से अनुमति ली गई थी।