असहाय आदिवासी लड़की पर क्रूर अत्याचार, सलानपुर में दुष्कर्म की घटना से सनसनी
सालानपुर । सलानपुर थाना क्षेत्र के अल्लादी पंचायत के अंतर्गत बरभुई गांव के पास एक दुखद घटना सामने आई है, जिसने इलाके के लोगों के मन में गहरा गुस्सा और चिंता पैदा कर दी है। मानसिक रूप से बीमार एक आदिवासी लड़की से दुष्कर्म किया। इस घटना के सामने आने के बाद आदिवासी समुदाय में तीखी प्रतिक्रिया हुई। लड़की के गर्भवती होने के बाद यह जघन्य घटना सामने आई, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है। घटना के विवरण के अनुसार, लड़की के पिता की मृत्यु के बाद उसका परिवार बहुत दयनीय जीवन जी रहा था। पिछले साल एक तूफान में उनके घर की छत उड़ गई थी। सरकार या स्थानीय लोगों से कोई मदद नहीं मिलने पर लड़की, उसकी मां और बहन को एक स्थानीय महिला के घर की बालकनी में शरण लेनी पड़ी। यह असहाय परिवार खुले आसमान के नीचे दिन गुजार रहा था, जहां उनकी कोई सुरक्षा नहीं थी। इस स्थिति का फायदा उठाकर कुछ शराबी युवकों ने युवती पर नजर गड़ा दी। आरोप है कि एक अज्ञात व्यक्ति युवती को पहाड़ी जंगल में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं, यह क्रूर घटना एक से अधिक बार हुई और आरोपियों ने युवती को कुछ पैसे देकर चुप रहने के लिए मजबूर किया। हालांकि यह जघन्य घटना लंबे समय तक रहस्य बनी रही, लेकिन स्थानीय लोगों की नजर से यह बच नहीं पाई। युवती गर्भावस्था के लक्षण दिखने पर स्थानीय लोगों का ध्यान इस ओर गया। मेडिकल जांच के बाद तुरंत पता चला कि युवती गर्भवती है। जैसे ही यह खबर फैली, इलाके में भारी तनाव फैल गया। इस घटना के विरोध में एक स्थानीय युवक ने 13 जून को राष्ट्रीय महिला आयोग में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। 17 जून को शिकायत दर्ज की गई और 19 जून को राष्ट्रीय महिला आयोग ने आसनसोल दुर्गापुर पुलिस आयुक्तालय के आयुक्त को युवती की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने और तत्काल प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। निर्देश के बाद 24 जून को महिला पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और बीमार युवती से बात करने की कोशिश की। लेकिन मानसिक रूप से बीमार युवती घटना के बारे में कुछ नहीं बता सकी। पुलिस ने परिवार को स्थानीय थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी। हालांकि पुलिस सूत्रों ने बताया कि बीमार युवती या उसके परिवार की ओर से अब तक स्थानीय थाने में कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। इस परिवार की दुर्दशा सिर्फ इसी घटना तक सीमित नहीं है। पता चला है कि इनके पास मतदाता पहचान पत्र तो है, लेकिन आधार कार्ड नहीं है। नतीजतन ये वोट तो दे सकते हैं, लेकिन सरकारी भत्ते या अन्य लाभ से वंचित हैं। इनकी लाचारी और सामाजिक सुरक्षा के अभाव ने अपराधियों को मौका दे दिया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस घटना को बेहद संवेदनशील बताया है और पुलिस को घटना की शीघ्र जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यह घटना सिर्फ एक परिवार की बदकिस्मती की कहानी नहीं है, बल्कि समाज के सबसे कमजोर तबके के प्रति हमारी जिम्मेदारी का सवाल भी उठाती है। अब स्थानीय लोगों की एक ही मांग है- इस लाचार परिवार को न्याय मिले और आरोपियों को सख्त सजा मिले। इस घटना ने समाज में गहरे छिपी लाचारी और लापरवाही की त्रासद तस्वीर पेश की है, जो हम सभी को चिंतित कर रही है।