शिल्पांचल में छठ महापर्व की धूम, श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य
आसनसोल । सूर्योपासना का यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पर्व की शुरुआत सोमवार को स्नान यानी नहाय-खाय के साथ हुई। इसके बाद मंगलवार को व्रतियों ने ‘खरना’ का प्रसाद ग्रहण किया। बुधवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पूरे देश के साथ साथ शिल्पांचल में भी
पूरी श्रद्धा के साथ छठ पर्व का त्योहार मनाया गया। आसनसोल, बर्नपुर, कुल्टी, रानीगंज, अंडाल, दुर्गापुर सहित पूरे जिला के तमाम जगहों पर विभिन्न छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नजर आई। हालाकि कोरोना काल में सरकारी दिशा निर्देशो का पालन करते हुए हर छठ पूजा कमिटि की तरफ से सभी प्रकार के एहतियात बरते गए थे। वहीं प्रशासन
की तरफ से भी सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम देखे गए। जैसे ही सूर्य देवता अस्त होने को आए श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सुर्य को छठ का पहला अर्घ्य प्रदान किया। इससे पहले यह सभी श्रद्धालु शिल्पांचल के
विभिन्न घाटों तक पूजा की सामग्री लेकर पंहुचे और घाटों पर बज रहे छठ मईया की गीतों का आनंद लेने लगे। जैसा कि बीते दिन ही आसनसोल नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन अमरनाथ चैटर्जी ने कहा था
कि इस साल निगम इलाके में 23 नए घाटों पर पूजा की जा रही है। इसके लिए नगर निगम और प्रशासन की तरफ से सभी प्रकार की तैयारियां की गईं है ताकि किसी भी छठव्रती को कोई परेशानी न हो। इसके साथ ही सुरक्षा के लिहाज से भी पुलिस प्रशासन की तरफ से भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई थी। घाटों तक आने के रास्तों पर ट्रैफिक को नियंत्रित
करने के पुख्ता इंतजाम किए गए थे जिससे कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो। साथ ही घाटों पर मास्क भी बांटे जा रहे थे।प्रशासन, छठ पूजा कमिटि और आम जनता के मिले जुले प्रयासों से बुधवार को अस्ताचलगामी
सुर्य को अर्घ्य प्रदान किया गया। अब छठव्रतियों को इंतजार है तो बस गुरुवार के सूर्योदय का जब उगते सुर्य को अर्घ्य प्रदान करने के साथ ही आस्था के इस महापर्व का समापन होगा।