सेल आईएसपी में स्थित 5 गगन चुम्बी ऐतिहासिक हाइपरबोलिक कूलिंग टावर रविवार सुबह 12 बजे किए जाएंगे ध्वस्त
4.2 मिलियन टन अत्याधुनिक स्टील प्लांट प्रोजेक्ट के लिए किया जा रहा ध्वस्त
इसी स्थान पर होना है आईएसपी का आधुनिकरण
सुरक्षा प्रणाली के तौर पे पूरे शहर की बिजली रहेगी गुल,
सभी को सुरक्षित रहने के लिए शहर में किया गया आगाह
इतिहास के पन्नों से इन हाइपरबोलिक कूलिंग टावर की कुछ बातें
बर्नपुर । उस समय भारत पराधीन था। अंग्रेज़ो से आज़ाद देश के लिए क्रांति की आग जल रही थी लेकिन इसी बीच कुछ उच्च शिक्षित बंगाली युवा पूरी तरह से विज्ञान की खोज में डूब गये। ऐसे ही एक व्यक्ति थे बीरेन मुखोपाध्याय। इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान वह स्टील फैक्ट्री बनाने की योजना के साथ देश वापस आये। तदनुसार, दामोदर की अनुमानित रूपरेखा तैयार की गई। उनकी देख-रेख में फैक्ट्री के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ। 1911-1917 के आसपास, इस अवधि के दौरान पांच हाइपरबोलिक कूलिंग टॉवर बनाए गए थे। इसका मुख्य कार्य इस्पात उद्योग में उपयोग किये जाने वाले गर्म पानी को ठंडा करना था। इन विशाल इंजीनियरिंग संरचनाओं को करीब से देखने पर आश्चर्य होता है। सदियों पुराने इन स्तंभों से हमारा इतिहास, यादें, भावनाएं जुड़ी हुई हैं। कुछ ही घंटों में ये खंभे इतिहास के गवाह बनकर धूल में मिल जाएंगे। विदेशी विशेषज्ञ आये हैं। वे पिछले कुछ दिनों से विनाश यज्ञ को सुचारु रूप से संचालित करने में लगे हुए हैं । हवा की सुनें तो सुनने में आ रहा है कि साहब अपने पुरखों के कारनामों को तोड़ने की फीस के तौर पर करीब 25 करोड़ रुपये ले रहे हैं। आगे बढ़ो और तैयार हो जाओ रोब। सुरक्षा अधिकारी, फायर ब्रिगेड, प्रशासन युद्ध अभ्यास कर रहे हैं । पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। विदेशी विशेषज्ञ बार-बार सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई नुकसान या जनहानि न हो । सुनने में आया है कि इस दुर्लभ क्षण को फ्रेम करने के लिए मीडिया प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। समय बीतता जाता है, हर चीज़ समय के दायरे में डूब जाती है। लेकिन मन भी कहीं न कहीं भावुक हो ही जाता है। एक इस्को कर्मी की भावना