थैलेसीमिया की रोकथाम को लेकर हुआ एक विशाल वेबीनार
आसनसोल। विश्व थैलेसीमिया दिवस पर रक्त दोष की इस बीमारी के लिए जागरूकता है तो ऑनलाइन जुम वेबीनार के माध्यम से अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की नीरा बथवाल राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा रूपा अग्रवाल राष्ट्रीय सचिव के सानिध्य में सुशीला फरमानिया राष्ट्रीय प्रकल्प प्रमुख नेत्र अंग देह एवं अंगदान ने राजकुमारी जैन, पूनम जयपुरिया, मधु डुमरेवाल, रूबी खेमानी एवं अंजू मित्तल प्रकल्प की राष्ट्रीय सखियों के साथ विचार विमर्श के बाद देश के प्रमुख चार चिकित्सा पद्धतियां एलोपैथी, होम्योपैथी आयुर्वेदिक एवं नेचुरोपैथी के नामी विशेषज्ञों को अपनी अग्रिम सोच के कारण एक ही मंच पर लाकर एक विहंगम दृश्य सबके सामने पेश करने की पहल की। ज़ूम सभागार में 150 व्यक्ति उपस्थित रहे। एलोपैथी विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण अग्रवाल ने बताया के थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है। अगर थैलेसीमिया मेजर है तो वह गंभीर है और अगर माइनर है तो वह केवल कैरियर होते हैं। उनमें थैलेसीमिया के लक्षण नहीं होते अगर दो थैलेसीमिया माइनर लोगों का विवाह होता है तो उनके संतानों को थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था में यदि एचबीए 2 सिक्लिंग टेस्ट बोन मैरो टेस्ट आदि टेस्ट करवाए जाएं तो थैलेसीमिया बीमारी के साथ पैदा होने वाले बच्चे के जन्म को रोका जा सकता है। हमें बच्चे विशेषज्ञ डॉक्टर पूनम सराफ ने बताया कि यह बीमारी वंशानुगत है। इसमें श्वसन तंत्र में बार-बार संक्रमण होने लगता है। होम्योपैथी इलाज से मरीज को आराम मिलता है और रक्त आधान ब्लड ट्रांसफ्यूजन की अवधि और इम्यूनिटी बढ़ती है और क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर होती है। प्रेगनेंसी में ही पता चल जाए तो उपचार संभव है। ब्लूचेरी ज्ञानबेरी नींबू सेव आदि खाने से इम्युनिटी बढ़ती है। डराओ दत्ता आयुर्वेदिक विशेषज्ञ ने बताया कि जब होमो ग्लोबिन का स्तर गिरकर 5 यह साथ रह जाता है तो थैलेसीमिया के साथ-साथ अन्य बीमारियों के होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इस को नियंत्रण में रखने के लिए व्यायाम, प्राणायाम पथ्य एवं अपथ्य आहार तथा औषध का संयमित नियंत्रण रहना चाहिए। पथ्य आहार में फोलिक एसिड की अधिकता वाले आहार जैसे दालें पुराने जौ पुराने चावल ज्वार कोदो मिलेट्स आदि का सेवन करना चाहिए। आप अपथ्य आहार जैसे कोल्ड्रिंक्स, जंक फूड आदि न लें । डॉ. छवि जैन प्राकृतिक चिकित्सक ने बताया कि इन मरीजों को शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान रखने की आवश्यकता है। अंगों तक ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में पहुंचे। इसके लिए योगासन प्राणायाम योग निद्रा हल्के शारीरिक व्यायाम आदि करना चाहिए। अपने दैनिक जीवन में भिंड भिंड रंगो वाले प्राकृतिक आहार लेना चाहिए। गेहूं के जवारे पुदीना, तुलसी का रस, हल्दी विशेष रूप से लाभदायक है। कुमकुम अग्रवाल ने प्रोग्राम का मंथन कर निष्कर्ष प्रेषित किया। उन्होंने बताया कि सभी चिकित्सकों ने इस बात पर जोर दिया कि यह रोग माता-पिता से बच्चों को विरासत में मिलता है और इसमें माता-पिता और बच्चों दोनों का जीवन बहुत कठिन हो जाता है। इसलिए विवाह से पहले लड़के और लड़की की जन्म कुंडली के साथ-साथ स्वास्थ्य कुंडली भी मिलनी चाहिए। ताकि थैलेसीमिया को रोका जा सके।