धेनुआ में मनायी गई एकदिन की दुर्गापुजा
बर्नपुर । भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है । यहां हर दो किलोमीटर में खान पान रहने सहन सबकुछ बदल जाता है। इतना ही नहीं अगर इस दुर्गापूजा के समय बंगाल की बात करें तो दुर्गापूजा के इतने रुप देखे जाते हैं इतने भिन्न भिन्न तरीकों से मां की आराधना की जाती है जिसे जानकर कोई भी आश्चर्यचकित हो जाए। आज हम आपको एक ऐसे ही दुर्गापूजा के बारे में बताने जा रहे हैं। आमतौर पर दुर्गापूजा षष्ठी सप्तमी अष्टमी नवमी और दशमी या विजया दशमी इन पांच दिनों में की जाती है। लेकिन बर्नपुर के धेनुआ गांव में इन सभी दिनों की पूजा को एक दिन में समाहित कर महालया के दिन ही इसका शुभारंभ और समापन दोनों किया जाता है। सुनने में भले थोड़ा अजीब लगे लेकिन धेनुआ गांव की यही रीत है। यहां दुर्गापूजा एकदिन की होती है। स्थानीय लोगों का कहना है वर्ष 1977 से इस परंपरा की शुरूआत हुई। यहां के लोगों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि वर्ष 1977 में तेजानंद ब्रह्मचारी ने इस अनोखे पूजा की शुरुआत की थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। यहां दुर्गापूजा के सभी दिनों की पूजा सारे विधि विधान को मानते हुए किया जाता है। इनका कहना है कि समय गुजरने के साथ साथ इस पूजा के बारे में धेनुआ के बाहर के लोगों को भी पता चला। इसके बाद तो हर साल हजारों लोगों का तांता लगता है जो इस पूजा में सम्मिलित होने के लिए आते हैं। इस साल भी आसनसोल दक्षिण की विधायक अग्निमित्रा पाल सहित समाज के हर वर्ग के लोग आए और इस अनोखे दुर्गापूजा के साक्षी बने।