आसनसोल में मां शाकंभरी का महामंगल पाठ ,भजन कीर्तन, ओर भव्य श्रृंगार का किया गया आयोजन
आसनसोल । शाकंभरी परिवार आसनसोल की ओर से गुरुवार 2 जनवरी को मां शाकंभरी जयंती उत्सव आसनसोल के नेताजी सुभाष रोड स्थित सिंघानिया भवन में मनाया गया। इस दौरान मां का मनमोहक श्रृंगार, अखंड ज्योत, मंगलपाठ भजन संध्या, महाप्रसाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में गिरीडीह के आकाश परिचय ने माता का दिव्य मंगलपाठ किया। बड़े भाग्य वाले होते है वो लोग जो नववर्ष की शुभ संध्या में मैया का मगंल पाठ करते है। कार्यक्रम सभी भक्त मैया का लाड़ लड़ाये, मेहन्दी लगाये, चुनड़ी उढ़ाये, गजरा पहनाये, छप्पन भोग लगाये, सवामणी जिमाये नाचे झुमे ओर खुब आनन्द करे। कार्यक्रम मे आसनसोल ,बराकर, नियामतपुर, रानीगंज, देवघर, आद्रा, जामुड़िया, बर्नपुर दुर्गापुर, जामताड़ा, धनबाद के भक्त उपस्थित थे। संस्था के सदस्यो ने बताया कि पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय जब पृथ्वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल पैदा किया, तब करीब सौ वर्ष तक वर्षा न होने के कारण अन्न-जल के अभाव में भयंकर सूखा पड़ा, जिससे लोग मर रहे थे, जीवन खत्म हो रहा था।उस दैत्य ने ब्रह्माजी से चारों वेद हासिल कर लिए थे। तब आदिशक्ति मां जगदंबा शाकंभरी शताक्षी देवी के रूप में अवतरित हुई, जिनके सौ नेत्र थे। भक्तों की दशा देखकर माता के सौ नेत्रों से आंसू निकले और इस तरह पूरी धरती में जल का प्रवाह हो गया। अंत में माता ने दैत्य का अंत किया। माता का विशाल मंदिर सकरायधाम में स्थित है। शाकंभरी माता का यह गांव सकराय सीकर जिले में है। यह मंदिर सीकर जिले से 51 किमी दूर अरावली की हरी भरी वादियों में बसा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में किया गया था।