समाज सेवी कृष्णा प्रसाद ने ऋषिकेश में सैकड़ों जरुरतमंदों में बांटे कंबल, आसनसोल की जनता के सुख समृद्धि के लाएंगे गंगा जल, छठ घाट पर छठव्रतियों के बीच किया जाएगा वितरण
आसनसोल । समाजसेवा एक शैक्षिक एवं व्यावसायिक विधा है जो सामुदायिक सगठन एवं अन्य विधियों द्वारा लोगों एवं समूहों के जीवन-स्तर को उन्नत बनाने का प्रयत्न करता है। सामाजिक कार्य का अर्थ है सकारात्मक, और सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से लोगों और उनके सामाजिक माहौल के बीच अन्तःक्रिया प्रोत्साहित करके व्यक्तियों की क्षमताओं को बेहतर करना ताकि वे अपनी ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी करते हुए अपनी तकलीफ़ों को कम कर सकें। इस प्रक्रिया में समाज-कार्य लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने और उन्हें अपने ही मूल्यों की कसौटी पर खरे उतरने में सहायक होता है। जब किसी इंसान के अंदर समाज और समाज में रहने वाले वंचित लोगों के लिए कुछ अच्छा करने का जज्बा पैदा हो जाए तो उनके लिए भौगोलिक सीमाओं का कोई महत्व नहीं रहता। वह जहां भी जाते हैं अपने अच्छे कर्मों से लोगों की भलाई के लिए काम करते रहते हैं। आसनसोल के विशिष्ट समाजसेवी व व्यवसायी कृष्णा प्रसाद इसकी एक मिसाल हैं। कृष्णा प्रसाद के सामाजिक कार्यों के बारे में आसनसोल का बच्चा बच्चा वाकिफ है। चाहे वह दुर्गापूजा हो या दिवाली या फिर छठ हर अवसर पर कृष्णा प्रसाद के घर और दिल के दरवाजे समाज के सबसे पीछे की पंक्ति में खड़े व्यक्ति के लिए खुले रहते हैं। लेकिन वह कहते हैं न कि फुल की महक सिर्फ उस बागीचे तक सीमित नहीं रहती जहां वह खिलता है उसकी खुशबू तो दुर दराज तक फिजाओं को महकाती हैं। कृष्णा प्रसाद की अच्छाईयां भी अब सिर्फ आसनसोल की सीमा तक सीमित नहीं रही हैं। देवभूमि उत्तराखंड में ऋषिकेश के अपने प्रवास के दौरान वहां भी कृष्णा प्रसाद से वहां के जरुरतमंदों का दर्द देखा नहीं गया और उन्होंने उनके लिए कुछ करने का फैसला लिया। इस कड़कड़ाती ठंड में बिना किसी शीत वस्त्र के खुले आसमान के नीचे रहने को मजबुर सैंकड़ों लोगों को उन्होंने खुद घुम घुमकर कंबल ओढ़ाया। इनमें से बहुतों को पता भी नहीं चला कि किसने उनको यह उपहार दिया। उनको तो यही लग रहा होगा कि देवभूमि उत्तराखंड में स्वयं भगवान ने अपने किसी दुत को भेजकर यह उपहार उनतक पंहुचाया होगा। इस दौरान उन्होंने ऋषिकेश की सड़कों पर सर्द रातों में घुमने को मजबुर लोगों से बात की और उनके दुख दर्द को साझा किया। कृष्णा प्रसाद के मन में हमेशा से संत समाज के लिए एक अलग स्थान रहा है। इसका एक और उदाहरण ऋषिकेश के उनके प्रवास के दौरान दिखा। वहीं उन्होंने स्थानीय राधे गोविंद आश्रम में 1100 संतों के लिए भंडारे का आयोजन किया। दरअसल कृष्णा प्रसाद के इस उत्तराखंड प्रवास का एक विशेष उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले उनकी इच्छा थी कि ऋषिकेश के गंगा घाटों से मां गंगा का पवित्र जल ले जाकर आसनसोल के प्रभु छठ घाट पर आने वाले छठव्रतियों में वितरित किया जाए। लेकिन किन्हीं कारणों से तब यह संभव नहीं हुआ। इस साल जब पुरे शिल्पांचल में चक्रवाती तुफान गुलाब के कारण भारी तबाही हुई तो अब आसनसोल के इस बेटे ने संकल्प लिया कि इस साल उनको अपना संकल्प पूरा करना ही है। इसी सोच को मद्देनजर रखते हुए वह ऋषिकेश पूहुचे और गंगा घाट से 500 एमएल पानी बोतलों में भर भर कर आसनसोल लाएंगे जो कि छठ व्रतियों में वितरित करेंगे। कृष्णा प्रसाद ने कहा कि उनको मां गंगा की शक्ति पर पूरा भरोसा है कि इससे आसनसोल पर आई हर विपदा दुर होगी और यहां के लोग मां गंगा के आशीर्वाद से सुख समृद्धि के साथ जीवन यापन कर पाएंगे।