40 वा बसंत महोत्सव आसनसोल के लिए सौभाग्य – सुरेन जालान
*40 वा बसंत महोत्सव आसनसोल के लिए सौभाग्य*
चन्द्र तपे सूरज तपे उद्गन तपे आकाश इन सब से बढ़ कर तपे सतियों का सुप्रकाश
जय जय श्री रानी सती सत्य पुंज आधार चरण कमल धरी ध्यान में प्रणवहु बारम्बार
मेरा अपना कुछ नहीं जो कुछ है सो तोय तेरा तुझको सौंप दूँ क्या लागत है मोय
मइया सब कुछ मांग ल्यो जो कुछ मेरे पास दो नैना मत मांगियो थारे दरस की आस
सेवा पूजा बन्दिगी सभी आपके हाँथ मैं तो कुछ जानू नहीं थे जानो मेरी मात
जगदम्बा जगतारिणी रानी सती मेरी मात भूल चूक सब माफ़ कर रखियो सिर पर हाँथ
सुमन-सुगन्धित सुमन से सुमन सुबुद्धि सुधार पुष्पांजलि अर्पण करूँ हे मात करो स्वीकार।
मंजू जालान
जालान निकेतन, भांगा पाचील
आसनसोल।