दुर्गापुर में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
दुर्गापुर । सितंबर 2014 में, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में 21 जून को वार्षिक योग दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था, क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। प्रारंभिक प्रस्ताव के बाद, 27 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में प्रस्तावित किया। संयुक्त राष्ट्र ने “योग दिवस” शीर्षक से एक मसौदा प्रस्ताव को अपनाया। पहला विश्व योग दिवस 21 जून, 1915 को मनाया गया था। तब से, इस दिन को हर साल विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विश्व योग दिवस मनाने का महत्व यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरी से दक्षिणी क्षितिज की यात्रा शुरू होती है। यह दिन दुनिया के उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन साल का 172वाँ दिन है। इस दिन, सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है। यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन और दक्षिणी गोलार्ध का सबसे छोटा दिन होता है। सूर्य के दक्षिणी क्षितिज के दौरान विश्व के उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की गर्मी कम हो जाती है, जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषित होता है, कीटाणु सबसे अधिक उत्पन्न होते हैं और इस दिन रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। यही कारण है कि इस दिन योगाभ्यास करने से शरीर और मन स्वस्थ और मजबूत रहता है। शनिवार सुबह, दुर्गापुर के सिटी सेंटर के नॉन कंपनी रिकरेशन क्लब के लाफिंग योग प्राणायाम केंद्र के वरिष्ठ सदस्यों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग प्रदर्शन में भाग लिया। कार्यक्रम में दुर्गापुर इस्पात कारखाने के सहायक महाप्रबंधक फिजियोथेरेपी डॉ. तपन बाद्यकर उपस्थित थे। डॉ. बाद्यकर भारतीय योग की उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता से हुई है। पतंजलि ऋषि ने सबसे पहले सभी को योग प्राणायाम के लाभों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सभी को स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से योग और प्राणायाम का अभ्यास करने को कहा घुटने व कमर दर्द, स्पोंडिलोसिस, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीज यहां प्रतिदिन योग व प्राणायाम कर स्वस्थ हो रहे हैं।