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भगवान तो प्रेम के भूखे हैं उनको प्रेम से जीता जा सकता

आसनसोल। आसनसोल के सेनरेले स्थित कन्यापुर हाई स्कूल के समक्ष मैदान में सप्तहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानभक्ति महायज्ञ श्री श्याम सुंदर दास जी महाराज के तत्वावधान में एवं ननी गोपाल मंडल, शांतारानी मंडल, जयदेव मंडल, सुकदेव मंडल, बुद्धदेव मंडल सहित पूरा मंडल परिवार की ओर से शुभारंभ हुआ। वृंदावन से श्रद्धेय अनिरुद्ध जी महाराज भागवत कथा पाठ कर रहे हैं। बुधवार इसका सातावां दिन था। समापन के दिन भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु और उनके भक्त श्रीमद्भागवत पाठ का श्रवण करने मैदान में पहुंचे। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने उपस्थित भक्त मंडली के सामने श्रीमद् भागवत गीता को अपने मुखारविंद से भक्त मंडली कोश्रीमद् भागवत कथा वाचक अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज के भागवत पाठ का आज सातवां दिन है आज भी उन के मुखारविंद से भागवत पाठ सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े उन्होंने आज भगवान से प्रेम करने के विषय पर अपनी बातें सामने रखी। उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि भगवान की पूजा नहीं भगवान से प्रेम किया जाए।

 

उन्होंने कहा कि भगवान ने कभी नहीं कहा कि उनको फूल वस्त्र मिठाई गहने आदि चढ़ावे के तौर पर दिए जाए। भगवान तो प्रेम के भूखे हैं उनको प्रेम से जीता जा सकता है। उन्होंने कहा कि पूजा तो सदियों से लोग भगवान की करते आ रहे हैं लेकिन क्या कभी वह भगवान को प्राप्त कर सके। लेकिन जिन्होंने भगवान से प्रेम किया है। उनको भगवान अवश्य मिले हैं। उदाहरण के लिए उन्होंने चैतन्य महाप्रभु का नाम लिया। उन्होंने कहा कि चैतन्य महाप्रभु महानज्ञानी थे। मात्र 16 वर्ष की आयु में ही उन्होंने पाठशाला में पढ़ाने का काम शुरू कर दिया था बड़े-बड़े विद्वान उनके सामने शास्त्रार्थ में पराजित हो जाते थे। ऐसे चैतन्य महाप्रभु को भी भगवान उनके ज्ञान की वजह से नहीं उनके मन में भगवान के प्रति जो प्रेम था। उसकी वजह से प्राप्त हुए थे। इसलिए उन्होंने लोगों से भगवान से प्रेम करने के लिए कहा । इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान युग में युवतियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब किसी घर में किसी कन्या का जन्म होता है तो माता-पिता को उस कन्या से काफी उम्मीद होती है कि वह अपने परिवार की इज्जत रखेगी। आज के युग में जब कन्याओं को भी पढ़ने के और आगे बढ़ने के समान अवसर पहले से कहीं ज्यादा प्राप्त हैं तो ऐसे कई परिवार हैं जो अपनी एकलौती कन्याओं को पढ़ाते है। इस उम्मीद में ही आगे चलकर वह अपने परिवार का नाम रोशन करेगी लेकिन जब वह किसी के बहकावे में आकर ऐसे किसी इंसान से रिश्ता जोड़ लेती है जो उसके काबिल न हो और अपने धर्म का त्याग कर देती है तो उसके परिवार पर आसमान टूट पड़ता है

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