उम्र महज नौ साल, लेकिन धार्मिक अनुशासन के पालन में अडिग
रानीगंज । 9 वर्ष की छात्रा अंनेरी मेहता ने कहा कि 3 सितंबर, 2021 से 11 सितंबर, 2021 तक चलने वाला पर्यूषण पर्व दुनिया भर में रहने वाले पूरे जैन समुदाय के लिए सभी त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि यह पर्व धीरज के नाम से भी मशहूर है। प्रत्येक जैन धर्मावलंबि इस पर्व के दौरान जैन धर्म के मूल सिद्धांतों सही ज्ञान, सही विश्वास, सही आचरण का पालन करते है | मुक्ति और निर्वाण प्राप्त करने के लिए ये तीनों गुण सबसे आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि पर्युषण शब्द को
दो भागों में तोड़कर आसानी से समझा जा सकता हैं। परी का अर्थ है अपने आप को याद करना और वासन का अर्थ है एक स्थान पर यानी दोनों शब्दों को मिला कर अर्थ है स्वयं को जानना या अपनी आत्मा में किसी स्थान पर स्वयं को याद करना। यह त्योहार सभी को आत्मविश्लेषण और गहन आत्मनिरीक्षण का मौका देता है। इसके साथ ही यह पर्व यह हमें याद दिलाता है कि जीवन का अंतिम और मुख्य उद्देश्य भौतिकवाद की खोज नहीं बल्कि निर्वाण प्राप्ति है। पर्युषण अहिंसा (अहिंसा),
आत्म-अनुशासन में संलग्न होना (संयम), आंशिक या पूर्ण उपवास तपस्या (तपह), शास्त्रों का अध्ययन (स्वाध्याय), आत्मनिरीक्षण (प्रतिक्रमण), पश्चाताप (प्रयासचित्त) जैसे महत्वपूर्ण प्रथाओ पर टिकी है। कोलकाता मैं रहने वाली अनेरी मेहता, इस पर्व को शुद्ध दिल और आत्मा से करती है। वह 9 साल की है और पर्व के दौरान सभी नियमों का पालन करती है। वह रहे सूर्यास्त के बाद और अगले दिन मंदिर जाने के बाद सूर्योदय तक पानी नहीं पीती है।