गुरु के आज्ञा बिना कोई कार्य नहीं करना चाहिए – राम मोहन जी महाराज
आसनसोल । जीटी रोड बड़ा पोस्ट ऑफिस के पास महावीर स्थान मंदिर में महावीर स्थान सेवा समिति की ओर से आयोजित 9 दिवसीय रामकथा के पांचवे दिन गुरु राम मोहन जी महाराज ने राम जन्म, बाललीला एवं राम विवाह प्रसंग पर प्रवचन सुनाए। दशरथ जी के घर जब राम जी का जन्म होने वाला था। उस समय शिवजी काकभुशुण्डि से कथा सुन रहे थे। इतने में शिव जी को ध्यान हुआ की राम अवतार हो चुका है। कथा आधी सुन उठकर शिवजी जाने लगे। काकभुशुण्डि ने पूछा कि बाबा कथा छोड़कर कहां जा रहे हैं। तब शिवजी ने कहा राम अवतार हो गया है। दशरथ के घर राम का जन्म हो गया है। मैं राम दर्शन करने जा रहे हैं। काकभुशुण्डि ने कहा कि गुरु अकेले जाएंगे। चेला को भी साथ लेकर चलिए। दोनों साथ चले। दोनों प्राणी दशरथ जी के आंगन में पहुंचे। शिवाजी ज्योतिषी का भेष बनाया चेला शिव जी का कमल कमंडल पकड़ लिया। किंतु वहां इतनी भीड़ थी। वहां आंगन में सभी खुशियां मनाने में मग्न थे। इन गुरु चेले को कोई देख नहीं रहा था। तब गुरु रूप में ज्योतिष शिव ने चेला से कहा कि कोई उपाय निकालो।जिससे राम जी का दर्शन हो। तब चेला महल में गया। महल के आंगन में चेला ने हल्ला कर दिया की बहुत बड़े ज्योतिषी आए हैं। एक-दो घंटा के लिए आए हैं। यह बात जब कौशल्या मैया को तक पहुंची। उन्होंने कहा कि ज्योतिष को लेकर आओ। वहीं चेला का मुंह लटका गया। गुरु जी ने कहा मुझे अंदर जाने दो तुम्हे भी बुला लेंगे। अंदर जाने के बाद शिवजी कौशल्या मां से कहा कि मेरी आंख को रोशनी कम है। छोटा बाबा को अंदर बुलाया जाय। वह देखेगा, मैं बताऊंगा। छोटे बाबा का अनुमति मिल गया। इस तरह से हर और हरी का मिलन हुआ। हरि विष्णु हर शंकर। कौशल्या मैया ने कहा कि हमारे बच्चे का भविष्य बताइए। शिव जी ने कहा कि बालक बहुत बड़े सम्राट, उच्च कोटि में विवाह होगा। रावण सहित राक्षसों को मारेगा। जैसे ही शिव जी वनवास की बात बोलने जा रहे थे। तभी राम जी ने नीचे से चिमटी काट ली। दशरथ के घर बहुत दिनों के बाद संतान हुआ है। वनवास की बात बता देंगे तो यहां उदासी छा जाएगी। इस तरह शिवजी राम का मिलन हुआ। राम मोहन जी ने राम विवाह पर प्रवचन सुनाए। रामचंद्र जी खेलते हुए युवावस्था में आए। एक दिन ऋषि विश्वामित्र दशरथ जी के भवन में पधारे। दशरथ जी ने ऋषि का स्वागत किया। कैसे आना हुआ जंगल में पूजा पाठ हवन यज्ञ बंद हो चुका है।राक्षसों ने उत्पात मचा चुका है। सहायता के लिए आए हैं।आज वचन दो। आज हमारी सहायता करेंगे। दशरथ जी वचन दिया हर प्रकार से सहायता करेंगे ऋषि विश्वामित्र ने दशरथ जी से कहा यह राक्षसों को खत्म करने के लिए राम और लक्ष्मण को दीजिए। दशरथ जी मूर्छित हो पड़े। दशरथ जी ने विश्वामित्र जी से कहा आप हमारे पूरा राज्य ले लो। राम लक्ष्मण को नहीं देंगे सकते। इतने में दशरथ जी के गुरु वशिष्ठ जी आए और समझाया विभिन्न प्रकार से इनका जाना बहुत जरूरी है। राम और लक्ष्मण के हाथों राक्षसों का अंत होगा। विवाह का भी योग बनेगा। दशरथ जी ने विश्वामित्र को ले जाने की अनुमति दी। जंगल जाकर राक्षसों को मारकर उनका सफाया किया। जनक जी सीता माता का स्वयंवर रचा था। उसमें शर्त था कि शिव जी के धनुष जो उठा लेगा। सीता का विवाह उसी से होगा। यह प्रतिज्ञा जनक जी इसलिए किए थे। सीता जब छोटी थी तब वह बाएं हाथ से धनुष उठाकर लीपा पोता करती थी। उसे समय निश्चय किया था कि जो धनुष उठा लेगा। उसी से सीता का विवाह होगा। यह धनुष परशुराम जी के पास था। परशुराम जी ने धनुष जनक जी को दिया था। बड़े राजा महाराजा जुटे थे। विश्वामित्र दोनों भाइयों को लेकर स्वयंवर में आए। जनक जी ने विश्वामित्र का स्वागत किया। सारे महाराज सर वीर धनुष तोड़ने एक साथ दौड़ पड़े। किसी से धनुष नहीं टूटा। राम लक्ष्मण बिना गुरु के आज्ञा बिना नहीं उठे। जनक जी ने कहा मुझे मालूम होता कि हमारी पृथ्वी पर सुर वीर नहीं रहे तो वचन नहीं देता। तब लक्ष्मण जी खड़े हुए जनक जी को कहा राजा यह कहने से पहले सोचना चाहिए था कि अभी भी सूर्यवंशी जिंदा है। यह धनुष का गुरु आदेश ही तो पृथ्वी को तोड़ दूंगा। तभी विश्वामित्र ने राम को आदेश दिया। राम कब धनुष के पास पहुंचे कब धनुष टूट गया। मिनट सेकंड में सीता का स्वयंवर हुआ। इतने में परशुराम जी का आगमन हुआ। परशुराम जी के आगमन को देखकर सभी राजा महाराजा डर गए। जिसने धनुष तोड़ा वह समझे। परशुराम जी ने कहा कि किसने धनुष तोड़ा, लक्ष्मण रामचंद्र खड़े हुए। पशुराम जी ने आशीर्वाद दिया। जनक के गुरु संत सदानंद जी महाराज आपस में विचार विमर्श किया। रामजी के चारों भाई एक साथ दशरथ जी बारात लेकर आए और विवाह संपन्न हुआ। मौके पर मुकेश अग्रवाल, प्रमिला तिवारी, अंजू सुल्तानिया, शीला क्याल, शशि शर्मा, मंजू अग्रवाल, पूनम अग्रवाल, सविता शर्मा, सीता गुप्ता, शिमला गुप्ता, अर्चना शर्मा, रेखा शर्मा, पूरणमल गुप्ता ने पूजा व आरती किया। मौके पर जगदीश प्रसाद केडिया, अरुण शर्मा, बालाजी ज्वेलर्स के मालिक प्रभात अग्रवाल, संजय शर्मा, दिनेश लड़सरिया, बजरंग लाल शर्मा, अमर भगत, अनिल सहल, जितेंद्र बरनवाल, सावरमल अग्रवाल, बंसीलाल डालमिया, संजय अग्रवाल, प्रकाश अग्रवाल, शिव प्रसाद बर्मन, अरुण बरनवाल, सुरेंद्र केडिया, प्रेम गुप्ता, प्रेमचंद केसरी, संजय शर्मा, विनोद केडिया, विकास केडिया, वासुदेव शर्मा, महेश शर्मा, सज्जन भूत, मुन्ना शर्मा, मुकेश शर्मा, मनीष भगत, अभिषेक बर्मन, राजू शर्मा, मुंशीलाल शर्मा, प्रकाश अग्रवाल, अक्षय शर्मा, अजीत शर्मा, राजकुमार केरवाल, निरंजन पंडित, जगदीश पंडित, श्याम पंडित, विद्यार्थी पंडित, बजरंग शर्मा, रौनक जालान, दीपक गुप्ता सहित सैकड़ों गण्यमान्य श्रद्धालु शामिल थे।